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(८)
मेवाड की जैन-पंचतीर्थी
मेवाड़ में इस समय लगभग पौनलाख जैनों की बस्ती है। किन्तु नागदा, आहह, कुम्भलगढ, चित्तौड़, देलवाडा, झीलवाड़ा, केलवा तथा केलवाडा आदि के अनेक विशाल तथा प्राचीन मन्दिर एवं मन्दिरों के खंडहर देखते हुए, यह कल्पना करना किंचित् भी अनुपयुक्त न होगा, कि किसी समय मेवाड़ में लाखों जैनों की बस्ती रही होगी। कहा जाता है कि जिस तरह देलवाड़े में किसी समय साढ़े तीनसौ मन्दिर थे, उसी तरह कुम्भलगढमें भी लगभग उतने ही मन्दिर थे । बिलकुल उजाड़ पड़ी हुई जावरनगरी के खंडहर देखने वाला इस बात की सरलता पूर्वक कल्पना कर सकता है, कि यहां किसी समय बहुत अधिक मन्दिर रहे होंगे।
चित्तौड़ के किले से ७ मील उत्तर में नगरी नामक एक प्राचीन स्थान है। इस स्थान में पडे हुए बँडहर, गढे
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