Book Title: Meri Mevad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मेरी मेवाडयात्रा के प्राचीन आभूषण, सोने-चांदी के वर्क की छाप के कपड़े, जो कि उदयपुर की खास बनावट है, सालवी बलाई लोगों के द्वारा बनाये गये कपड़ों के नमूने, सरूपशाही, भीमशाही आदि पगड़ियां, (कहा जाता है, कि आजकल जो पगड़ियाँ उपयोग में आरही हैं, वे अमरशाही के नामसे प्रसिद्ध हैं । ) अभ्रक की जातियाँ (मीलवाड़ा, राशमी आदि स्थानों पर अभ्रक की खदानें हैं), पत्थर के काम के नमूने आदि वस्तुएँ हैं । खास तौर पर ध्यान आकर्षित करने वाली वस्तुओं में शाहजादे खुर्रम( कि जो लगभग १६२ १ में हुआ था ) की पगड़ी मुख्य है । कहा जाता है कि महाराणा कर्णसिंहजी के साथ मैत्री होने के अवसर पर, यह पगड़ी उसने भेंट में दी थी। काँच का बना हुआ शुतरमुर्ग नामक पक्षी अत्यन्त मनोहर है । इस म्यूजियम में कुछ थोडे-से सिक्कों का भी संग्रह है। ये सिक्के ग्रीक, मुगल, पठान, तथा हिन्दू समय के हैं। उत्तर भारत तथा काबुल के सिक्के भी हैं। एक पत्थर के चोकठे में महाराणा उदयसिंहजी से २१ पीढी तक के राणाओं के चित्र हैं। मालम हुआ कि यह चित्रपट सिरोही से यहाँ आया है। दूसरी चीन है-लायब्रेरियां। राज्य की दो लाइब्रेरियाँ हैं। इनमें से एक में, लगभग चार-पाँच हजार पुस्तकें हैं । इसके अध्यक्ष हैं—पं० अक्षयकीर्ति एम० ए० । इस लायब्रेरी में, कुछ शिलालेख हैं । इस शिलालेख का संवत् ७१८ है । इसकी भाषा संस्कृत तथा लिपि कुटिल है। गोहिल अपराजित के समय का यह शिलालेख है। अन्य तीन बड़ी बड़ी For Private And Personal Use Only

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