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उदयपुर की संस्थाएँ ग्रन्थों का बहुत अच्छा संग्रह है। यति श्री अनूपचन्दजी विद्वान् , मिलनसार और विद्याप्रेमी हैं, अतएव उनकी अधीनता की इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं।
युवकों की प्रवृत्तियों को वेग प्रदान करने वाली अन्य दो संस्थाओं का यहाँ उल्लेख करना भी उचित जान पड़ता है। एक का नाम वर्धमान जैन मण्डल और दूसरी का नाम हैवाय० एम० जे० ए० ( यंग मैन जैन एसोसियेशन ) । पहली संस्था प्राचीन है और दूसरी नई है। वर्धमान जैन मण्डल कि जो यति श्री अनूपचन्द्रजी की देखरेख और श्रीयुत वीरचन्द्रजी सिरोया तथा उन्हीं जैसे अन्यान्य अनेक उत्साही युवकों के नेतृत्व में चल रहा है, उसने अभी तक बहुत अच्छा कार्य कर दिखलाया है। उदयपुर के आसपास दो दो-चार चार-पांच पांच कोस के गामोंमें स्थित जैन मन्दिरों में मण्डल के सदस्यों की टुकड़ियाँ भेजभेज कर वहां पूजाऐं पढवांना, स्वामिवात्सल्य करना, मेला लगवाना, आदि कार्य करने में इस मण्डल का अच्छा उत्साह दीख पड़ता है। इसके अतिरिक्त उदयपुर में जुलूस आदि के समय यह संस्था समुचित व्यवस्था रखती है । वाय. एम. जे. ए. नामक संस्था इसी चतुर्मास में स्थापित हुई है। अंग्रेजी की उच्च शिक्षा प्राप्त किये हुए या उच्च शिक्षा लेने चाले युवकों ने, शारीरिक उन्नति तथा ऐसे ही अन्यान्य उद्देस्यों से इस संस्था की स्थापना की है। जिस उत्साह से यह संस्था स्थापित हुई है, और अच्छे अच्छे उच्च-शिक्षा प्राप्त युवक इस संस्था
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