Book Title: Meri Mevad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतवर्ष में मेवाड़ का बेजोड स्थान चाहे जो हो, मेवाड़, भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों के बीच, बहुत सी बातों में अपना बेजोड़ स्थान रखता है, इस बात से तो कोई भी इनकार नहीं कर सकता । मेवाड़, काँटों तथा कंकरोवाला, पहाड़ों तथा पत्थरोंवाला, नदी तथा नालोंवाला और सादा एवं शुष्क देश होते हुए भी, वस्तुतः 'देवभूमि वाला देश है । वह अनेक तीर्थों तथा हजारों मन्दिरों से शोभायमान देश है, अनेक पूर्वाचार्यों की चरणरज से पवित्र हुआ देश है, धर्मवीर और क्षात्रवीर देश है, हिन्दूधर्मरक्षक देश है और आत्माभिमान में सना हुआ देश है, इस में तो किंचित् भी सन्देह नहीं है। मेवाड़ में केशरियाजी, करेड़ा, देलवाड़ा, अदबदजी, दयालशाह का किला, चितोड़गढ़ आदि जैन तीर्थ मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त सारे मेवाड़ में लगभग तीन हजार मन्दिर विद्यमान हैं । मेवाड के इन मन्दिरों तथा तीर्थों का निरीक्षण करनेसे विदित होता है, कि शीलसूरि, सोमसुन्दरसूरि, जयसुन्दरसूरि, सर्वानन्दसूरि, उदयरत्न, चारित्ररत्न, लक्ष्मीरत्न, जिनकुशलसूरि, जिनभद्रसूरि, जिनवर्धनसूरि, जिनचन्द्रसूरि, जिनसिंहसूरि, विजयदेवसूरि और शान्तिसूरि आदि अनेक पूर्वाचार्यों ने इस प्रदेश को अपने पादविहार से पवित्र किया है । इसी तरह वर्तमानयुग में भी अनेक आचायौने, इस मेवाड़ प्रदेश को अपने चरणकमल एवं उपदेशामृत से पवित्र किया है । जिनमें, स्वर्गस्य गुरुदेव शाखविशारद जैनाचार्य श्री विजयधर्म For Private And Personal Use Only

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