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जिन शासन : २ शक्ति इतनी प्रबल थी कि बीमारियां आतीं—शरीर तक पहुंचती और शरीर से इतना आक्रमण होता कि वे वापस चली जातीं। आज मनुष्य की रोग-निरोधक शक्ति इतनी कमजोर हो गई कि बीमारी पड़ोसी के होती है, फिर भी पहले उस तक पहुंच जाती है। ऐसा क्यों हुआ? इसलिए कि भय बढ़ा है। आज सारा जीवन भय से भरा हुआ है। सारा जीवन कृत्रिम बन गया। साधन भी कृत्रिम, श्वास भी कृत्रिम, बहुत से लोगों का तो हार्ट भी कृत्रिम, और भी बहुत सारे अवयव कृत्रिम या बनावटी मिल जाएंगे।
खलील जिब्रान एक बहुत बड़े विचारक हुए हैं, बहुत बड़े दार्शनिक । एक बार वे खेत में गए । देखा-एक हड़प्पा खड़ा है (बनावटी आदमी) । उसके पास जाकर बोले-भैया ! तुम चौबीस घंटे खड़े रहते हो, कभी थकते नहीं? हड़प्पे ने उत्तर दिया कि ये जो पक्षी आते हैं इन्हें उड़ाने में मुझे बड़ा मजा आता है। खलील जिब्रान बोला कि आदमी को डराने में तो मुझे भी मजा आता है । हड़प्पे ने कहा-क्या तुम भी मेरी तरह बनावटी आदमी हो?
सचमुच आज आदमी बनावटी बन गया। सारी कृत्रिमता, सारी औपचारिकता, वास्तविकता ढूंढने पर मुश्किल से ही मिलती है । इतना कृत्रिम जीवन हो गया, भयभीत जीवन हो गया कि बीमारी नहीं होगी तो क्या होगा?
हमारी चर्चा चल रही थी, जिनवचन एक दवा है, एक औषधि है बीमारियों की। ध्यान से सुनें और एक बात पर विशेष ध्यान दें कि शरीर में कोई बीमारी हो तो पहले डॉक्टर को न बुलाएं, वैद्य को न बुलाएं, किसी को न दिखाएं । पहले एकान्त में बैठकर पांच मिनट कायोत्सर्ग करें, बिलकुल स्थिर और शान्त होकर आत्मालोचन करें कि मैंने कौन-सी विकृति की जिससे कि यह बीमारी हुई है। कुछ बीमारियां क्रोध के कारण पैदा होती है। कुछ बीमारियां कपट और माया के कारण पैदा होती हैं, कुछ बीमारियां लोभ के कारण तो बहुत सारी बीमारियां इन्द्रियों के असंयम के कारण पैदा होती है । हम पहले अपना आत्मालोचन करें एकान्त में शान्ति के साथ कि मैंने कौन-सा दोष किया है जिसके कारण यह बीमारी हुई है। डॉक्टर को बहुत बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम भी बड़े विचित्र आदमी हो गए कि होता कुछ ही है और करते कुछ ही हैं । बीमारी होती है अपनी मानसिक दुर्बलताओं के कारण और चक्कर लगाते रहते हैं डॉक्टरों
और वैद्यों के । उनके पीछे दौड़ते जाते हैं, दवाई लेते जाते हैं, बीमारी का पता ही नहीं चलता।
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