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शास्त्रों के व्यापक अर्थ की खोज का दृष्टिकोण
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फलित थे - समन्वय, मैत्री और आत्म-शोधन | आज का वैज्ञानिक सूक्ष्म यंत्रो के माध्यम से सत्य की खोज है। इसीलिए वह सत्य की खोज में बहुत सफल हुआ है । किन्तु आज के दार्शनिक के पास न अतीन्द्रिय चेतना का विकास है और न सूक्ष्म यंत्र। सूक्ष्मदर्शन के अतीत और वर्तमान दोनो माध्यमो से वह वंचित है। उसके पास केवल शब्द विचार और तर्क है। इसलिए वह सत्याग्रही कम है, आग्रही अधिक है । पुराने शब्दो को नया अर्थ तब दिया जा सकता है जब दार्शनिक आग्रही कम और सत्याग्रही अधिक हो ।
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