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अतात का अनावरण
१०७ आचार्यश्री तुलसी ने वह लेख पढ़ा और मुझे बुलाकर कहा-'अब तक हमने आलोचना का प्रत्युत्तर नहीं दिया। पहली बार यह स्तर की आलोचना निकली है, जिसमें गाली-गलौज नहीं किन्तु एक चिन्तन है । अब हमें इसका प्रत्युत्तर देना चाहिए। तुम एक लेख लिखो।' मैंने उस पर 'अहिंसा की सही समझ' शीर्षक एक लेख लिखा। श्रीचन्दजी रामपुरिया ने कापड़िया का और मेरा-दोनों लेख 'जैन भारती' पत्र में एक साथ छापे । कापड़िया ने 'प्रबुद्ध जीवन' में लिखा—'मेरे लेख में कहीं-कहीं व्यंग्य भी है, कटूक्तियाँ भी हैं, किन्तु मुनिश्री नथमल जी ने जो लेख लिखा है, उसमें केवल समीक्षा है, न कोई व्यंग्य और न कोई कटूक्ति ।' इससे मैं बहुत प्रभावित हुआ। यदि मेरे मन में अहिंसा के बीज अंकुरित नहीं होते तो मैं व्यंग्य और कटूक्ति से शायद नहीं बच पाता । ___ मैं जैन मुनि बना । जैन दर्शन मेरे अध्ययन का विषय बना । फिर भी इसी स्वीकृति को मैं आवश्यक मानता हूँ कि गाँधी साहित्य से मुझे जैन धर्म को आधुनिक सन्दर्भ में पढ़ने की प्रेरणा मिली । मैंने एक पुस्तक लिखी । उसका नाम था-'आंखें खोलो ।' उसके पांच अध्याय थे। उसमें एक अध्याय था--जातिवाद । आचार्यश्री तुलसी ने उसे देखकर कहा—'यह पुस्तक बाहर जाएगी तो समाज में इससे बहुत चर्चा होगी । अभी इसे रहने दो।' फिर दो क्षण के चिन्तन के बाद कहा—'यह वास्तविकता है । जैन धर्म में जातिवाद के लिए कोई स्थान नहीं है । फिर चर्चा से क्यों डरना चाहिए ?' पुस्तक सामने आ गई । कुछ ऊहापोह हुआ। साथ-साथ यथार्थ को प्रस्तुत करने का मुझे संतोष भी मिला। ___ गाँधी साहित्य के माध्यम से मैंने रस्किन और टॉलस्टाय को पढ़ा तो मुझे और अधिक व्यापक सन्दर्भ में चिन्तन करने का अवसर मिला। आचार्य भिक्षु ने सम्प्रदायातीत धर्म की नींव को बहुत मजबूत किया था। उन्होंने इस पर बहुत बल दिया कि धर्म मुख्य है, सम्प्रदाय गौण । यही सूत्र अणुव्रत के प्रवर्तन का आधार बना। आचार्यश्री ने अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन किया, तब उसकी समीक्षा इन स्वरों में हुई--'आचार्यश्री जैन और अजैन—सभी को एक पंक्ति में ला रहे हैं।' यदि आचार्य भिक्षु के दृष्टिकोण का सुदृढ़ आधार उपलब्ध नही होता तो काफी समस्याएं सामने आती । पर उस उदार दृष्टि ने सामने आने वाली हर समस्या को चिरजीवी नहीं बनने दिया । अणुव्रत आन्दोलन को दार्शनिक दृष्टि से प्रस्तुत करने का अवसर मिला । उससे मैं बहुत लाभान्वित हुआ। अतीत के चिन्तन को वर्तमान की समस्याओं के सन्दर्भ में देखने की एक दृष्टि मिली और
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