Book Title: Meri Drushti Meri Srushti
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 162
________________ १६० मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि . विकास नही करता । गीता में सिद्धांत के साथ-साथ अनासक्त योग के जो प्रयोग जुड़े हैं, उनका कोई आचरण नहीं करता, केवल व्याख्या करता है अर्थ बतला देता है | अहिंसा और अपरिग्रह के प्रयोग नहीं किए जाते। इस विषय पर चिन्तन करते समय आचार्यश्री के मन में यह बात आयी कि हमें कोई ऐसा मार्ग खोजना चाहिए, जिस पर चलने से हृदय परिवर्तन हो सके। पुरानी भाषा में हृदय परिवर्तन 1. और आज की वैज्ञानिक भाषा में रासायनिक परिवर्तन । जब तक रासायनिक परिवर्तन नहीं होता, तब तक हजार बार पढ़ने और सुनने के बाद भी आदमी नहीं बदलेगा। मूल बात है भाव - परिवर्तन और भाव-परिवर्तन के साथ सम्बन्ध है हमारी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के रसायनों का । कर्म से उत्पन्न होता है भाव और भाव से उत्पन्न होते हैं रसायन । रसायन उत्पन्न करने वाले ग्लैण्ड्स में जो हारमोन्स बनते हैं, वे एक जैसे नहीं होते, भाव के अनुसार होते हैं। जैसे हमारा आन्तरिक भाव होता हैं, वैसे ही रसायन उत्पन्न होते हैं और ये रसायन प्रभावित करते हैं हमारे आचार, विचार और व्यवहार को । आदमी के आचार, विचार और व्यवहार को कौन कंट्रोल कर रहा है ? इस पर वैज्ञानिक दृष्टि से विचार किया जाए तो पता चलेगा कि नर्बस सिस्टम में जो मुख्य-मुख्य ग्लैण्डस हैं वे सब कंट्रोल करते हैं हमारे आचार, विचार और व्यवहार को । जब तक इनके बदलने की बात न की जाए तब तक संभव नहीं कि विद्यार्थी या समाज का कोई व्यक्ति बदल सके । केवल पत्तियों को पकड़ने से काम नहीं चलेगा, हमें जड़ तक पहुंचना होगा । हमारा यह अनुभव हैं कि बारह वर्ष की अवस्था तक यदि किसी विद्यार्थी के पीनियल ग्लैण्ड्स को सक्रिय रखा जा सके तो नयी पीढ़ी का निर्माण किया जा सकता है । बारह वर्ष की अवस्था के बाद पीनियल ग्लैण्ड्स निष्क्रिय होना शुरु हो जाती है। इस अवस्था तक यह ग्रन्थि उसकी आपराधिक प्रवत्ति पर नियंत्रण रखती है और इसके बाद वह अप्रभावी होती चली जाती है । आज प्रायः सुना जाता है हर किसी से कि कथनी और करनी में असमानता बढ़ रही है, पर क्यों ? हम कारण पर विचार करें तो पाएंगे कि हमारा संवेग यहसब करा रहा हैं । आचार्यश्री बहुत बार कहा करते हैं कि हमने कोई ठेका नहीं रखा है कि सारे संसार को सुधार देंगे । किन्तु हमारे पास एक उपाय है, जिसके द्वारा आदमी को बदला जा सकता है । यह कोई पुस्तकीय ज्ञान के आधार पर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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