Book Title: Meri Drushti Meri Srushti
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 174
________________ १७२ मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि वही बैठ सकता है जो श्रमशील, संघर्षशील और कर्मशील हो। आज आचार्य भिक्षु का जन्मदिन है । आचार्य भिक्षु बनकर ही आचार्य भिक्षु का जन्मदिन मनाया जा सकता है। प्राचीन आचार्यों ने कहा है-यदि देवता की पूजा करनी है तो देवता बनकर ही करो । देवता बने बिना देवता की पूजा नहीं की जा सकती। जो कष्टों से घबराता है, संघर्ष और तुफान से भयभीत होता है, विचलित होता है वह आचार्य भिक्षु का जन्मदिन नहीं मना सकता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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