Book Title: Meri Drushti Meri Srushti
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ १५८ का चिकित्सक हूँ पर मुझे लगता है मेरा सारा प्रयास निरर्थक है । इन सारी स्थितियों के संदर्भ में कहा जा सकता है कि यदि आयुर्वेद को अपनी विस्मृत संपत्ति को पुनः प्राप्त करना है तो उसे ध्यान पद्धति से जुड़ना होगा । ध्यान उसके लिए अनुसंधान का द्वार खोलेगा । अनुसंधान के आधार पर आयुर्वेद आगे बढेगा और फिर से अपनी धाक जमाएगा। इस संदर्भ में आयुर्वेद और प्रेक्षा ध्यान का समान्वित कदम उठे, यह आवश्यक है । Jain Education International मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180