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का चिकित्सक हूँ पर मुझे लगता है मेरा सारा प्रयास निरर्थक है ।
इन सारी स्थितियों के संदर्भ में कहा जा सकता है कि यदि आयुर्वेद को अपनी विस्मृत संपत्ति को पुनः प्राप्त करना है तो उसे ध्यान पद्धति से जुड़ना होगा । ध्यान उसके लिए अनुसंधान का द्वार खोलेगा । अनुसंधान के आधार पर आयुर्वेद आगे बढेगा और फिर से अपनी धाक जमाएगा। इस संदर्भ में आयुर्वेद और प्रेक्षा ध्यान का समान्वित कदम उठे, यह आवश्यक है ।
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मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि
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