Book Title: Meri Drushti Meri Srushti
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 164
________________ ૨૬ર मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि को अनुशासित होने की विधि तो दी ही नहीं तो उसे अनुशासनहीन कहना उचित नहीं होगा। जीवन विज्ञान के द्वारा चरित्र-निर्माण का कार्य हो सकेगा। हर अच्छे कार्य की शुरुआत गुजरात मे, साबरमती के आसपास हुई है । इस ओर भी प्रयत्न करना है । भावात्मक प्रयोग के प्रोजेक्ट पर देश में कार्य हो रहा है जो मानव के लिए कल्याणकर होगा। पांच दिन के शिविर में हमें भी अनुभव हुआ कि विद्यार्थी अनुशासित जीवन जी सकते हैं। दिशा-परिवर्तन की आवश्यकता है। मैं दिशा-परिवर्तन को एक साधन मानता हूँ। हम सब इस प्रयोग में भागीदार बनें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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