Book Title: Meri Drushti Meri Srushti
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 167
________________ - १६५ संस्कार–परिष्कार के सूत्र परिष्कार घटित नहीं होता । समाज के क्षितिज पर जो नये-नये विकास हुए और आयाम खुले, उनमें फिर से धुंधलका गहराने लगा। जब तक हमारा दृष्टिकोण संतुलित नहीं होगा, भीतरी और बाहरी दोनों प्रकार की समस्याओं के प्रति हम जागरूक नहीं होंगे, तब तक संस्कार-परिष्कार की चर्चा सफलता के बिन्दु पर नहीं पहुंचेगी। अध्यात्म की प्रेरणा है भीतरी जगत् में प्रवेश, सूक्ष्मतर शरीर और चेतना का अनुभव । वह अनुभव इस समस्या-संकुल, समाज की सबसे बड़ी अपेक्षा है, सबसे बड़ी सचाई है। इसे स्वीकृति देकर ही संस्कार-परिष्कार की धारणा को आगे बढ़ाया जा सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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