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नया जन्म लें
हर युग की अपना समस्याएं होती हैं। वर्तमान की भी अपनी समस्याएं हैं। आदमी सदा अपनी समस्या का समाधान खोजता है और खोजता रहा है। तो क्या समस्या भी वर्तमान की और समाधान भी वर्तमान का, यही पर्याप्त है या इसके सिवाय दूसरा भी कोई विकल्प हमारे सामने है ? __मैंने पढ़ा अमेरिका की एक पत्रिका 'टाइम्स' में कि अब सिंगापुर, चीन आदि में कन्फ्यूशियस को फिर लाया जा रहा है । यानी कि वर्तमान समस्या का समाधान अतीत में खोजने का प्रयत्न किया जा रहा है।
हमें महावीर को समझना है तो शाश्वत और अशाश्वत दोनों को समझना होगा। अतीत और वर्तमान, दोनों को समझना होगा। हमारी कुछ समस्याएं शाश्वतवादियों ने उत्पन्न की हैं और कुछ समस्याएं अशाश्वतवादियों ने उत्पन्न की हैं। जो केवल शाश्वत में विश्वास करते हैं, उन्होंने समस्याएं पैदा की हैं। जो केवल वर्तमान को मानते हैं उन्होंने भी समस्याएं पैदा की हैं और जो केवल अतीत को पकड़े बैठे हैं, उन्होंने भी समस्याएं पैदा की हैं। समस्या का समाधान किसी एकांगी दृष्टिकोण में नहीं होता। सबसे पहले हमारी समझ सही होनी चाहिए अन्यथा समाधान नहीं होगा।
एक सेठ ने अपने माली से कहा-सुबह के चार बज गए, बगीचे में पौधों की सिंचाई करो । माली बोला-बरसात बहुत हो रही है । मालिक ने कहा- इसमें कौन-सी कठिनाई है, छाता ले जाओ और पानी सींचो।। __ वह नहीं समझ सका कि जब बरसात हो रही है तो फिर सिंचाई क्यों की जाए? छाता लेने की जरूरत क्या है ? पर जब दृष्टिकोण में क्षमता नहीं होती समस्या का सही आकलन करने की तो समस्या तक पहुंच ही नहीं होती।
कुछ लोगों में समस्या के प्रति एक सहज दृष्टिकोण होता है, क्षमता होती है पर दृष्टिकोण विपर्यय में चला जाता है तो भी समाधान नहीं मिलता।
बरसात बहुत तेज थी। पूरा आंगन पानी से भर गया और भीतर आने की तैयारी करने लगा। मालिक ने नौकर से कहाल्सावधान रहना, पानी कमरे के
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