Book Title: Manorama Kaha
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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२७०
मणोरमा-कहा सवारंभ-परिग्गह-निक्खेवो सव्वयसमया य । एगग्गमणसमाहाणया य अह एत्तिओ मोक्खो । १८४।। जं इच्छह अप्पणओ जं च न इच्छह अपणओ । तं इच्छह परस्स वि एत्तियगं जिणसासणगं ति ॥१८५।।
___ भणिऊण मोणमासिया सूरिणो। कया सयलपुरिसाए जहारिहं धम्मपत्ती । नरचंद-जिणगुत्तेहि पडिवण्णा देसविरई। कयं परि[ग्गहपरिमाणं जिणगुत्तेण-"सव्वं पि मे धणाइकुवियतं दीणारदसलक्खमझे । अओ परं तक्खण चेव धम्मे दाहामि ।” कुमारेण पुण एयं चेव पण्णास-[दीणार ]कोडि मज्झ गहियं । धम्मकहावसाणे सट्ठाणं गया लोया । नरचंदजिणगुत्ता वि पविट्टा नयरं। भोयणवेलाए भिक्खं भमंता गया सुगणियय-घरं । दिदा तेण। निरूवियाणि सरीरे लक्खणाणि । रंजिओ नेमित्तिओ। पणय-पुरस्सरं ण्हाविया दो वि तेण । भुंजाविया परमायरेण । नियंसाविया पवरवत्थाणि। निरूवियं लग्गं । परिणाविओ नरचंदो निय-दुहियरं सिरिदेवि। दिण्णा सिरि-नामिया बीया दुहिया जिणगुत्तस्स । वोलीणो वासरो । समागया रयणी। पारद्धा संकहा। लद्धावसरेण भणिओ जिणगुत्तेण नेमित्तिओ-"किं निमित्तं तए अविण्णाय-कुलाईण भिक्खयराण अम्हाण नियहियरो दिण्णाओ?" तेण भणियं-"लक्खणेहि चेव जाणियं मए-थेवं भे दालिद्द-दुक्खं, समासण्णो धणागमो।” जिणगुत्तेण भणियं-कहेसु मे अणुग्गहं काऊण इत्थी-पुरिसलक्खणाणि। नेमित्तिएण भणिय सुणेहसुसिणिद्ध-कुडिल-बहु-कसिण-चिहुरभारेण संगथा होति । सव्वपहाणा पुरिसा विवरीए होंति विवरीया ।। छत्तायारं सीसं पयाहिणावत्त-संगयं तह य । रायतणयाण जायइ विवरीयं अहम मज्झाण ॥१८७।। अट्ठमि चंदायारं जत्तियरेहाहि संगयं भालं । तावइया वीसाओ वासाणं जियइ सुहभाइ ॥१८८।। उण्णयनासो पुज्जो महुपिंगो कामिणीया मणहारी । सुसिणिद्ध-सिद्ध-संगय-दसणो मिट्ठण्ण-भोइत्ति ।।१८९।। बिबाहरोह्रतालू-तिरेह-सोहिल्ल-कंबुसमगीवो । आयरिस-सम-कवोलो पसत्थरोमिल्ल-कण्णजुओ ॥१९०॥ ससि-सीह-वग्य-वयणा नरवइणो होंति तस्समाणा वा । पीणण्णय-पिहु-वच्छ। रोमिल्ला तेवि रायाणो ।।१९१।। उण्णय-खंधो भोगी दीहरबाहू वि होइ पहु-सरिसो। कंकेल्लि-पल्लवारुण पसत्थरेहिल्लपाणी वि ॥१९२॥ जलपुण्ण-दइय-पोट्टा अयकुच्छी सीह सरिस-कडिभागो। सुपसत्थ-मउह-जंघा कुम्मण्णय-पायतंब-नहा ।। करि-वसह-हंस-केसरि-गय-गमणा होति राय-संकासा । निद्धतया भोगिल्ला सिणिद्ध-वक्खा य सोहग्गी ।। विसणा बाहू तह लोयणाई दीहाइं पुण्णभागीणं । गीवा-जंघा-लिंग-अंगुलि-मज्झाइं मडहाइं ॥१९५।। नह-अस्थि विहुर-दसणा अंगुलि-पव्वाण संधिणो सुहमा । वच्छत्थलच्छि-पट्ठी समुण्णय। होंति राईणं ॥१९६॥ गंभीरवा कररेह-नाहिणो होति गेज्झवयणाओ । उवचिय-मंसा सुहिणो सव्वमिणं होइ सत्तिल्ला ।। इय एवंविहलक्खण-संजुत्ता सुंदरा नरा हुंती । तव्विवरीया मज्झा अहम पुण मुणह भयंता ।।१९।। एलग-रासह-नयणा थेवाऊ हुंति पाणिणो तह य । मूसग-मज्जारच्छा थेवेणं जति जमगेहं ॥१९९।। अइभग्ग-कसिणवढे करं नटुप्पहं चिविडनासं । अइतणुयं सत्तमयं इमाई अपसत्थवयणाई ॥२०॥ निम्मंस-कवोला वि य अभिण्ण-कण्णा य वंक-नासा य । एए उ वज्जणिज्जा न सुंदरा हुंति पाएण ॥२०१।। वित्थड-पाओ पुरिसो दुहगो इत्थी उवद्ध-पिंडीया [व] । पावइ मच्चू तुरियं भणियमिणं सत्थयारेण ।।२०२।। जीए हसमाणीए कवोलमूलेसु कूवया होंति। सव्वासिं असइणं तीए धुरि दिज्जए रेहा ।।२०३।। विरलंगुलिया पाय[य] जणा पिंगच्छा रोमंसायवियंडा [य] । वीवाहमंडवे च्चिय भत्तारं हणइ दियरं वा ।। जीए तिण्णिपलंबा उदरं भालं तहेव पुष्पाय । सा हणइ तिण्णि पुरिसा ससुरं दियरं धवं चेव ।।२०५।। जाए वच्चंतीए जाणू [कड]कडकडिति महिलाए । संपत्तजोव्वणा सा निच्चं दुह-भाइणी होइ ।।२०६।। जीसे हसमाणीए गलंति नयणंसुयाइं लालाय । सा भत्तारं निहणइ दीहमहा सोयणिज्जा य ।।२०७।।
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