Book Title: Manorama Kaha
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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ताइयअवसरे तइय सिक्खावये पुरिसदत्त-करेणुदत्तकहा
३०१ उक्वासेण वा पाणगाहारवज्जेण आयंबिलेण वा. निम्विएण वा जाव विगईसंखेवेण वा। सरीरसक्कारपोसहो ण्हाणुवदृणाइअण्णयरपरिहारेण वि भवइ। देसओ बंभचेरपोसहो वि दिवसे वा राओ वा कयपरिमाणस्स वा बंभचेरपरिपालितस्स देसओ हवइ । एगयरसावज्जजोगपरिहारेण अव्वावारपोसहो देसओ हवइ । पडिवज्जिऊण पोसहं जहा निस्संगया जायइ कसायहाणी य तहातहा पयट्टियव्वं । संपयं पोसहस्स आराहग-विराहगादंसिज्जति
अत्थि इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे अमरावइपडिच्छंद-भूया, पइभवण-समूसियाणेगकोडि-पडागा, निच्चुसवाणंदपमुइय-जण-देव-भवण-पयट्ट-पेच्छणय-नच्चत-नट्टियाखित्त-जुवमणा, जिणमंदिरपर[म] मज्झवज्जंत-भेरी-भंकार-भरियभुवणोदरा, परचक्काणक्कंतसाला विसाला नाम नयरी। तम्मिय पुरिसदत्त-करेणुदत्ताभिहाणा सम्मदिछिमिच्छदिछिणो दोणि सेठिणो परिवति । अत्थि ताण परोप्परं संगयं एग-चित्तया य संसारिय-कज्जेसु, न उण धम्मपओयणेसू ।
__ अण्णया समागओ तत्थ जयभूसणो नाम सूरी। ठिओ.पुरिसदत्तसेट्ठि-संतिए घरुज्जाणे । समागया वंदणवडियाए लोया। पुरिसदत्तसेट्ठी वि समं करेणदत्तेण । वंदिओ तिपयाहिणापुरस्सरं। निसण्णा जहा ठाणं परिसा। पारद्धा भगवया सजलहरगंभीरसरेण धम्मदेसणा। जहा-- धम्माओ धणं विउल धम्माओ चेव कामसंपत्ती । धम्माओ निम्मला कित्ती [धम्माओ सग्ग-सुह-मुत्ती ] ।५५८॥ किसिकरणं सायर-लंघणं च देसंतरेसु परिभमणं । कयधम्माणं फलयं विवरीयं अकय-पुण्णाण ।५५९।
एमाइ धम्मदेसणं काऊण ठिया आयरिया। पडिवण्णा पुरिसदत्तकरेणु[दत्ते]हिं देसविरई-"तइयसिक्खावए अट्ठमि-पमुह-पुण्णतिहीसु कायब्वो पडिपुण्णो पोसहो एस नियमो। उववूहियसूरीहिं-धण्णा तुम्भे जओ अउण्णाण न देसविरइ-परिणामो वियंभइ। जओ--
सम्मा पलिय-पुत्तेऽवगए कम्माण भावओ होंति । वय-पभिईण भवण्णव-तरंड-तुल्लाणि नियमेण।।५६० ।। धण्णो च्चियपडिवज्जइ विरई पालेइ धण्णओ चेव । परिपालियविरई पुण, भवे भवे लहइ कल्लाणं ।।५६१।। सव्वम्मि चेव कज्जे पयट्टमाणेण बुद्धिमंतेण । नियमा निरूवियव्वो सुहासुहो वत्थुपरिणामो ।।५६२।। अणिरूविध-परिणामा सहसच्चिय जे नर एयद॒ति । न हु ताण कज्जसिद्धी अह होइ न सुंदरा होइ ।।५६३।। सयण-कुडुंबय-कज्जे पावं जो कुणइ मोहिओ संतो । सो भुंजइ तस्स फलं सेसजणा भक्खगा चेव ।।५६४।। आसण्ण-सिद्धियाणं उत्तम-पुरिसाण धम्मवंताण। परिणामसुहे सुद्धे धम्मे च्चिय आयरो होइ ।।५६५ ।।
__एवं विसेसेणं कया सूरीहिं धम्मदेसणा । ते वि कयत्थमत्ताणयं मण्णमाणा वंदिऊण आयरियं गया सट्ठाणं । जहागहिय-धम्माणुट्ठाणं कुणंताण वच्चंति वासरा।
कयाइ एगथमिलएहि धम्मत्थ-कामवियारं कुणंतेहि भणियं परोप्परं पुरिसदत्त-करेणुदत्तेहि"--पहाणो पुरिसत्थेसु मज्झे धम्मत्थो। सो पुण अणाउल-चित्तेहिं चेव काउं तीरइ। अणाउलत्तणं च चित्तस्स कडुब-सत्थत्ते । सत्थत्तणं च
।। अत्थनिओओ महाववसाय-सज्झो । अओ किपि ववसायं काऊण किज्जइ अत्थोवज्जणं । पच्छा पुत्तं ठाविय कुडुंबभारे सुसावय-जणोचिओ धम्मत्थो चेव सेविज्जइ ।” 'जुत्तमेयं' ति दोहिं वि परिभाविय पारद्धा देसंतरगमण-सामग्गी । गहियं भूरिभंडं। चलिया पसत्थवासरे उत्तराभिमुहं । अणवरय-पयाणेहिं वच्चंता पत्ता पंचउराभिहाणं पट्टणं । आवासिया तत्थ नयरबाहिरियाए। मुक्का चरणत्थं गोणजुवाणया । पुंजीकयाओ अवल्लाओ। पारद्धा रंधणसामग्गी। मज्जिउमारद्धा पुरिसदत्त-करेणुदत्ता। एत्यंतरे साससमाउरिज्जमाणमुहकुहरा, वारं-वारं पच्छाहुत्त-पउत्तभय-संभंत-तरलतारलोयणा, जराजिण्ण-संकिण्ण-दंडी-खंड-नियंसणा, उद्दाम-नहर-नियर-विलिहियंगुवंगा, अणवरयसेडियाघसण-धवल-पाणिणो, अणुमग्ग-लग्गा, हक्कंत-जुईयार-चंड-सद्द-सवण-संखुद्धमाणसा, कह कह वि नासग्ग-विलग्ग-जीविया, 'नमो अरिहंताणं' ति भणमाणा दोण्णि सावयसुया पुरिसदत्त-करेणुदत्ताण सरणमल्लीणा। नवकार-सवण-संजाय-साहम्मियाणुराएहि भणियं तेहिं-“भद्दे ! नो भाइयव्वं"ति । भणिया नियपुरिसा-"खलेह इमे पच्छाणलग्गे पुरिसे।"
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