Book Title: Manorama Kaha
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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३०६
अह उज्जलवेसे ७२ अह एवं पि न जाणसि
अह अण्णया कयाई २४७ ३२७ ३२२ २८०
अह कह वि दिव्व जोया
अह कह वि लहइ जीवो १७६ अह गुरुकम्मेण हया
अह तं सुणेइ कत्थवि
अह दिक्खिऊण सूरि __ अह दीणो दुहदुहिओ
अह पुत्तत्थे पिययम ३२७ अह पेक्खिउं पवत्ता ३२३
अह फासुए पएसे २२७ ९७ अह भणइ विज्जुवेगो ३२९ अह भणइ समरसेणो २५२ अह भणइ सूरसेणो
अह भणइ सोवयारं १९० अह भणसि अस्थि अण्णो
अह भणसि तुमं सुहिया ३०९ अह भणसि दुक्करो खलु
अह भणसि लक्खणेणं
अह मंडलम्मि पढमे ३०८ अहमवि कहेमि गंतूण
४६ अहयं विओयतणुइ २७२ अह रागदोसवसओ २९४ अह वंदिऊण भयवं २९४ अहव न हु तुज्झ दोसो २९४ अहवा तुच्छे वि कए
अहवा न तुज्झ दोसो
३२४
अण्णाणं अवरज्झइ
अबला जणम्मि पहरसि अण्णाणं कंपणिज्जा
अबलायणम्मि दाणे अण्णे कडसामाइया
३०३ अभंलिहबहुविह अण्णे जलकीलाहिं
अब्भक्खाणं सहसा अण्णण कयं अण्णो
अभयं सर्वसत्वेभ्यो अण्णेसि पि अकज्ज
अभिमुहमागच्छंतं अण्णेसि पुण पविरल
अमयमई वि हु बाला अण्णोण्णकरावीडण
२१५
अमयमयगयणमंडण अण्णोण्णदंसणामय
अमयमयंगि वि हंसअण्णोण्णमंगमंगेहि
अम्मा जाणइ सुण्हा अण्णोण्णमणुसरंताण
अरइं च कुणसु अस्सि अण्णोण्णसंकहाए
अलद्धान्तः पातो अण्णोण्णहत्थसंफास
२१५
अलमेत्थ वित्थरेणं अण्णो वि हु एस गुणो
अलि-गवलसजलहर अतिहिजणसंविभागं
अलियपयंपणसंपण्ण अत्थेण संविढप्पइ
२८९
अवगणियमरणभया अत्येण होइ दाणं
अवगणिऊण महिला अत्थेत्थ भरहखेते
अवयरिउं गयणाओ
अवयारी किर वेरी वि
९७ अवराहवज्जियाणं अथिरे जीए विहवे
१४३ अवरोप्परपरमसिणेह अदिपुहइकोउहलाण
र अवलंबिया तिणा असणेण वच्छे
अवहत्थिज्जउ तं दियहु अधणो धणवंछाए
९६ अवहिरिया दिएण अपरिक्खियरयणतिय २९ अवियारिऊण कर्ज अपात्रे रमते नारी अप्पं वा बहुयं वा
३२१ अव्वो महाणुभावो अप्पडिबद्धविहारो
असुइम्मि समुभूओ अप्पत्तणओ भग्गं
असुइविलेवं तह अप्प पर निव्विसेसा
अस्सिणिनक्खत्तम्मि अप्प परस्स विसेस
अस्सिणिरेवइचित्ता अप्प परोभय-सुहया
अस्सेसाए तेणो अप्पहियं कायब्वं
२६७ अह अण्णया कयाइ १. गाथास०३।३६ । २. धर्मरत्नकरंड टीका पु०७५१ । १. गाथास० पृ. ३०१ ।
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अहवा विहिणा विहियो
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