Book Title: Manorama Kaha
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 383
________________ وا ३४ ३०८ ३०३ धावण पवण समत्थो धीरपुरिसपरिहाणि धी संसारसहाओ धूलो धूसरियंगो "नइपूरसच्छहे जोव्वणम्मि नउलवराहाविरुया नंदंतु महाकइणो न कुणइ पणइण पियं न कुलं न यावि सीलं ३२६ १७८ ३०४ ३०५ mr Vr9 d o १५० २८४ ३०४ १७३ न य मुणइ पमाइल्लो ३०४ न य विलविएण सिज्झइ २८३ नरनाह समलंकरेह ९ नरमहिसमेसगोगवय २०२ नर-रुहिर-वसा पूरिय ३०७ नररुहिर-बसा विलिहिय १ नररुहिरविहियमंडल ११४ नरसीहरिदेणं नरसीह बीय लंभो न लहइ गेहम्मि रई २३१ नलिणीदलपुडएणं १९१ नव त्ति कम्मस्स वि नव धम्मस्स हि पाएण . ३०५ नव नव कुंपलकिसलय ३३३ नवनिहिचोइस यण निवभाग कए वत्थे ७७ नवमास कुच्छिधारी नवमे न याणइ किचि नवरि पियाइं चिय २८९ नवसूअधेणुया इव न विणा निग्गंथेहि न विदिसं गच्छइ न अहो . १३१ न विलासा नपंडिच्चं १५२ नह अत्थि विहुरदसणा २८४ नहघट्टा करपंडुरा नयलपडतअइरोद्द नहसेण विस्ससणेहि नाऊण किंचि अण्णस्स नाऊण तुमं पंपापुरीए नाऊण निच्छ्यं तुह नाणेण सव्वभावा १९९ नातो भूयस्तमो धर्मः नाण-दंसण-चरणेहिं नानाविहमंगलनिलय २४८ नानाविह वइयरसंकहाए नामेण रुदृदेवो ३२५ नायागयंसु विसुद्धसद्धा १७८ नायागय फासुय १३ नारी अयसनिवासो १७८ नारय तिरय नरामर नासिय तमंधयारो नाह कहिज्जउ मज्झं १३९ निअनीइ गुणसमेया निगमे सोहणा वामा २१२ निज्जणिओ सो पावो निज्जिय विसयकसाओ निज्झर तडेसु तरुणो ६५ निद्ववियअट्ठकम्मे निद्दावसगो जीवो निन्नेहनेहाउलेण १७४ निप्पिट्टपसिणवागरण निपक्खहं पडिवक्खु ३२४ निप्फाइऊण सीसे ८८ निब्भर जल इं सुपाणियई निम्मंसकवोला विय निम्मलसरसकोमल १४८ निम्मलि जिणवरधम्मि २०५ २७० नियकज्ज-करण-निरया ३०२ नियकत्तारं कोहो २८० नियकम्मेहि वि निहयं ३०६ नियकुलकलंकजणयं २०६ निय गेहे गंतूण निय जोण्हामयधारा निय दोसा दोसमईए २७४ निय-नियघरेसु बहवे नियनिय देवयसरणं निय परिमलभरिय ३१५ निय भुयदंडोवज्जि निय भूमिगाणुरूवं नियमविराहणजणियं or १७६ २७० नक्खत्तं सुमिणं जोगं न गणइ कुलाभिमाणं न गणइ जाइ कुलाई न गणंति पुव्वनेहं न गणेइ य सुयणतं न नज्जइ रोसेण व नच्चंति कबंधाई नच्चा मच्चु दुहत्थे नट्टा वा भट्टा वा नउ पेक्खणय सरिच्छं न तहा दहइ सरीरं न तुमं जाणसि धम्म नमिऊण नाहिकुलयर नमिमो पारगयाणं नमिरसुरविसरसिरमणि नमिरामरमोलिकिरीड न य गज्जइ देइ जलं न य घणसार-सहिय न य जोइसं न गणियं नयणमणानंदो सो नयणाण पडउ वज्ज नयणाणि दहइ दिट्टो नयहि सो य दिट्रो १. उत्त०नि० १२९ । २. वज्जा० पृ० ९४ । ३१३ २६६ ३२९ २१२ ३२५ ३०७ mr २१४ १२४ ३१३ २३ or or m 3 mom V ३२७ २८१ १५३ २१ २४२ ३०३ २८० १. बृ० क० २८३१ । Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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