Book Title: Manorama Kaha
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 370
________________ २१२ ८६ १० १३५ २७० २९० mr ९९ अहवा सव्वं चरियं अह विज्जाहरराया अह सरयजलहरगंभीर अह सूरसेणरण्णा अहह पडिबिंबरहिया अहह हयहिययबहुदुक्ख अहह हया हं विहिणा अहियजणयदुहिओ अहिसिंचिऊण रज्जम्मि अहोमुहेसु रिक्खेसु आउं कणिट्टियरेहाए आकंपिज्जति सुरा आगमविहिणा गंतुं आगम्म मह समीवे १आजम्मं हारुवस आजम्मरम्मतणु आढत्ता सप्पुरिसेहि आणंदनिभराई आणंदनिब्भराए r २ आयहिय परिण्णाभाव ३२३ २आयहियमजाणतो ३०६ आयाणुग्गहट्ठाए ३२५ आयारसंवरंसो आरंभनियत्ताणं आरंभपरिग्गह आरंभेच्चियविरसाई आलयदाणेण नरो ३२५ आलिंगिओ सहेलं आवायमेत्तसुहं आविहिसि पुणो आसणे सयणे चेव आसण्णसिद्धियाणं आसासिऊण एवं आसि जयपायडजसो २८४ आसेविए किलम्मइ आसोयकसिणपक्खे आहारदेहसक्कार २१५ उइओ गया इओ गया इंगालाइए पनरसइंगाली वणसाडी ३११ r m x mmm m ३०६ १३२ mr ८७ ३२२ २८४ २९३ ३८ २७४ इय असमंजसदुग्वयण २७४ इय एरिसमेहाडंबर२४९ इय एरिसम्मि सरए ३०९ इय एरिसे वसंते इय एवं बहुसो रोइऊण इय एवमाइमहुरइय एवंविहलक्खण इय एसो जिणधम्मो इय केत्तिउ आवि कहिओ इय केत्तिउं व भण्णइ २७३ इय केत्तियं व भण्णइ __ इय चउगइ पहपहिया ३०१ इय चउवीस जिणेसर इय चितिऊण चित्ते ३३८ इय जंपिरो सरोसं २८६ इय तिहुयणकयमंगलइय दुल्लहलंभं इय पुण्णापुण्णफलं २७३ इय भणिउं चलियाए २८७ इय भणिउं तह मेल्लइ __ इय भणिऊण विमुक्का २९ इय भणिए लेण लहं २१६ इय भणिओ सो तुमए इय भो न य पाविज्जइ १९८ इय वोत्तुं तह सविया २०३ इय सव्वेण वि सम्म २४९ इय सोऊं संखुद्धो ९७ इय सो भद्रपइण्णो २७१ इसि हसिऊण भणिओ १५० इह भणिऊण न विरमइ २०१ इह भवगहणि भमंतु इहरा विहु जलइ च्चिय इहलोइय परलोइय इहलोइ वि छिक्कारिउ २४८ WilliliHHHHHH २४८ २८२ ३३९ २४८ २१४ आणंदवियसियच्छो आणंदविवसविलसिरआणंदियविबुहजणा आणवणं पेसणाणं आपावे निल्लज्जे आबद्धधोरणीओ आयण्णायट्ठियपवर आयपरोभयहियउरु ३ आयरियत्तण तुरियो आयरियाणं च नमो आयरिओ केरिसओ २५३ इंदियचोरचडक्क इंदियत्थेसु दुव्वार इंदिय-पसरनिरोहं इच्छियजणेणनिच्चं ८८ इट्टविओगो अबुहाण ३२२ इत्तरियगहियगमणं ३३२ इण्हि अकज्जमेयं इण्हि संखित्तेयर १५२ इमाइ माणभंगं कुणमाणी २७४ इमिणा सह संजोगो १. बृक० ११६२ । २. बृक० ११६३ । ३ बृक० ११५८ । rrr mrr १. संवे० पृ० ५९१ । २. संवे० पृ० ५९१ । ३. बृक० ३७३ । २६६ २६६ २६३ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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