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महावीर का पुनर्जन्म
निकम्मी बात लगती है। मैंने साक्षात् देखा है-धर्म को थोथी बकवास कहने वाले जब बीमार पड़े तो कांप उठे। बिना भक्त तारिये तो तारिबो तिहारो है
एक श्रावक परम्परा में जन्मे हुए व्यक्ति धर्म के कट्टर आलोचक थे। जब वे बीमार पड़ गए, मृत्यु के निकट पहुंच गए, तब उनकी भावना में बदलाव आया। उन्होंने आचार्यवर को प्राथना करवाई-आचार्यवर! आप दर्शन दिरावें। आचार्यश्री पधारे, बातचीत हुई। वे बोले-'महाराज! मैंने बहुत आलोचना की है, धर्म और संघ की निंदा की है, साधुओं की निन्दा की है पर अब अन्तिम समय आ गया है। मैं चाहता हूं-अब मुझे धर्म की बात सुनाई जाए। आपने पधार कर दर्शन दिए, बहुत अच्छा हुआ। मेरी भावना है-आप हमेशा साधु-साध्वियों को दर्शन दिलाने के लिए यहां भेजें, मुझे अधिक से अधिक धर्म की बात सुनाएं।' यह सुनकर सारे लोग अवाक् रह गए। लोगों ने कहा-पूर्व में उगने वाला सूरज पश्चिम में कैसे उग आया? यह क्या हुआ? कैसे हुआ? उस समय उन्होंने कहा-आचार्येवर! मैंने तो कुछ नहीं किया पर आप मुझे तारें। जिन्होंने भक्ति की, उन सबको तारना आसान है किन्तु जिन्होंने भक्ति नहीं की, उन्हें तारना ही तारना है
प्रहलाद् को तार्यो ताके तात को तमासो देख्यो, ध्रुवजी को तार्यो ताको बालापन टार्यो है। मोरध्वज तार्यो ताके पुत्र पे करौत धरी, हरिश्चन्द्र तार्यो ताको कहां सत्य टार्यो है। सुग्रीव को तार्यो ताको बंधव करायो नाश, विभीषण तार्यो ताको कुटुंब संहार्यो है। भक्त-भक्त तारे या में राव री बड़ाई कहां,
बिना भक्त तारिये तो तारिबो तिहारो है।। अगर विषम परिस्थितियां नहीं होती, पुण्य-पाप नहीं होता तो शायद धर्म का मूल्य समझ में नहीं आता। वास्तव में पुण्य और पाप-ये दो तत्त्व ऐसे हैं, जो आदमी की मति को बदल देते हैं। धर्म दिखाई नहीं देता। दिखाई देता है व्यक्ति का पुण्य और पाप। यह पुण्य-पाप नहीं होता तो आदमी धर्म जैसे गूढ़ तत्त्व तक जाने की बात को सोचता ही नहीं। किन्तु ये दो चौकीदार हैं, जो आदमी को सदा जगाते रहते हैं, सावधान करते रहते हैं। व्यक्ति को पाप बहुत सावधान करता है, साथ-साथ पुण्य भी उसे सावधान करता है। एक आदमी के पुण्य को देखकर दूसरा भी सावधान होता है। इसने पाप किया था अतः यह भोग रहा है, मैंने नहीं किया इसलिए मुझे यह नहीं भोगना पड़ रहा है। ये दोनों ही मनुष्य को जगाते रहते हैं। खतरनाक है दूसरों के सहारे ऊपर उठना
एक पिता के तीन पुत्र थे। जब तीनों बड़े हुए, पिता ने उन्हें बुलाया। पिता ने कहा-तुम जाओ, कमाकर खाओ।
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