Book Title: Mahavira ka Punarjanma
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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कर्म : विपाक और स्थिति
४८३
चेतना है। जब हम अध्यात्म की चर्चा करते हैं, तब कर्म का बंध और कर्म का विपाक-इन दोनों की चर्चा करना भी जरूरी है। कर्म का विपाक
सूत्रकृतांग सूत्र में कहा गयाअस्सि च लोए अदुवा परत्था, सयग्गसो वा तह अण्णहा वा। संसारमावन्न परंपरं ते, बंधंति वेयंति य दुणियाणि ।।
कर्म विपाक को इस लोक में अथवा परलोक में, सैकड़ों बार या एक बार, उसी रूप में या दूसरे रूप में भोगा जाता है। संसार में पर्यटन करते हुए प्राणी आगे से आगे दृष्कृत का बंध और वेदन करते हैं।
एक व्यक्ति कर्म का बंध करता है और उस कर्म का विपाक भोगता है। प्रश्न होता है, वह उसे कब भोगता है? क्या इस जन्म के कर्म को इसी जन्म में भुगत लेता है? क्या इस जन्म के कर्म को आगामी जन्मों में भी भुगतता प्रश्न के संदर्भ में चूर्णिकार ने कई विकल्प प्रस्तुत किए हैं
१. इस लोक में कर्म किया और इसी लोक में विपाक आए। २. इस लोक में कर्म किया और परलोक में विपाक आए। 3. परलोक में कर्म किया और इस लोक में विपाक आए। ३. परलोक में कर्म किया और परलोक में विपाक आए।
उदाहरण की भाषा में बतलाया गया-एक आदमी ने किसी आदमी का सिर काट डाला, उसे मार दिया और मृत व्यक्ति के लड़के ने मारने वाले का सिर काट डाला। इस लोक में कर्म किया और इसी लोक में विपाक को भुगत लिया। यह विपाक का एक प्रकार है।
विपाक का दूसरा प्रकार है-इस लोक में कर्म किया और उसे अगले जन्म में भुगतना पड़ा। एक व्यक्ति ने इस लोक में एक आदमी को मार डाला, परलोक में वही व्यक्ति उस व्यक्ति को मार डालता है। यह इहभव कर्म का परभव में विपाक है। आचार्य भिखु ने लिखा-वैरी स्यूं वैरीपणो चालियो जाय मित्र स्यूं मित्रपणो चालै-शत्रुता और मित्रता का अनुबन्ध चलता रहता है। इस जन्म के वैर का बदला अगले जन्म में भोगना पड़ता है। इस जन्म में किसी व्यक्ति का भला किया, अगले जन्म में वह उसका भला करता है। हम ऐसी बहुत सारी घटनाएं पढ़ते हैं। एक व्यक्ति ने किसी व्यक्ति से दस हजार रुपये उधार लिए। बहुत मांगने पर भी वे रुपये उसे वापस नहीं मिले। उधार देने वाला व्यक्ति मर गया। उसने मरकर उसके बेटे के रूप में जन्म लिया। वह थोड़ा बड़ा होते ही बीमार पड़ गया। ईलाज करवाया गया। ईलाज पर दस हजार रुपया खर्च हो गया। वह बोला-तुम्हारा दस हजार रुपया लग गया, मेरा बदला चुक गया। अब मैं जा रहा हूं और सचमुच उस व्यक्ति ने उस घर से विदा ले ली।
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