Book Title: Mahavira ka Punarjanma
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 524
________________ ५०६ महावीर का पुनर्जन्म रखना चाहता है, अपनी भावनाओं को अनुशासित रखना चाहता है तो उसके लिए लेश्या ध्यान या रंग ध्यान का प्रयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है। वातानुकूलन का विज्ञान एक व्यक्ति ने कहा, 'मुझे गुस्सा बहुत आता है, मैं इससे बहुत परेशान हूं।' वस्तुतः आदमी अपने आप से परेशान है। एक शत्रु होता है बाहर का और एक शत्रु होता है भीतर का। यह भीतर का शत्रु बहुत परेशानी पैदा करता है। हम इन भीतरी परेशानियों को कम करें. भीतर का सारा वातावरण वातानुकूलित हो जाएगा! जब भीतर वातानुकूलन की स्थिति बन जाएगी तब बाहरी प्रभाव कहां से आएगा? बाहरी प्रभाव को रोकने के लिए मकान को एयरकंडीशंड बनाया जाता है। लोग उसे वातानकलित बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर देते हैं। मकान को ठंडा करने के लिए व्यक्ति इतना खर्च करता है पर दिमाग को ठंडा रखने के लिए कोई खर्च नहीं करेगा। हम गहराई से सोचें-मकान को ठंडा रखना अधिक जरूरी है या दिमाग को ठंडा रखना? ___ एक भाई ने कहा, मैंने अभी नए आफिस के निर्माण में चालीस-पचास लाख रुपए लगा लिए। मैंने पूछा-'एक आफिस के निर्माण में इतना व्यय?' उस भाई ने जवाब दिया-'उसे एयरकंडीशंड बनाने में ही तीन-चार लाख रुपए खर्च हो गए।' मैंने पूछा-'दिमाग को एयरकंडीशंड बनाने के लिए भी कुछ खर्च करते हो?' उसके पास इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं था। व्यक्ति इस बारे में सोचता ही नहीं है। वह बाहरी वातावरण या मकान को समशीतोष्ण करना चाहता है पर भीतर में जो आग जल रही है, उसे शांत करने की कोई चिन्ता नहीं करता, उस दिशा में प्रयत्न भी नहीं करता। यह लेश्या का विज्ञान, रंग का विज्ञान भीतरी वातावरण को वातानुकूलित बनाने का महत्त्वपूर्ण विज्ञान है। हम इसका मूल्यांकन और प्रयोग करें, रंगों का संतुलन सधेगा और वह जीवन के लिए वरदान सिद्ध होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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