Book Title: Mahavira ka Punarjanma
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 520
________________ ५०२ महावीर का पुनर्जन्म गया है तो व्यक्ति स्वार्थी बन जाएगा। वह केवल अपनी बात सोचेगा, दूसरों का हित-अहित नहीं देखेगा। मानसिक प्रभाव की दृष्टि से भी रंगों का संतुलन जरूरी हमारे शरीर के जितने अंग हैं, उन सबके अपने अपने रंग हैं। बाहर से चमड़ी का रंग एक सा दिखाई देता है पर भीतर में हर अवयव का अपना-अपना रंग है। जिसने शरीर के भीतर गहराई से देखा है, उसने इस तथ्य का साक्षात्कार किया है। रश्मि और रंग का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होता है? यह आज वैज्ञानिक अध्ययन का विषय बन चुका है। गौतम की जिज्ञासा : महावीर का समाधान गौतम ने भगवान महावीर से पूछा-'भंते! क्या कृष्ण लेश्या नीला लेश्या के पुद्गलों को प्राप्त कर तद्रूप में (नीला लेश्या में) परिणत हो जाती है?' महावीर ने कहा-'गौतम! ऐसा होता है। कृष्ण लेश्या केवल नील लेश्या के रूप में ही परिणत नहीं होती किन्तु वह कापोत लेश्या, तेजोलेश्या, पद्म लेश्या और शुक्ल लेश्या के रूप में भी परिणत हो जाती है। थोड़े अच्छे पुद्गलों का योग मिला, कृष्ण लेश्या के पुद्गल नील लेश्या में बदल गए। पीत लेश्या के पुद्गलों को योग मिला, कृष्ण लेश्या के पुद्गल पद्म लेश्या में बदल गए। तेजोलेश्या के पुद्गलों को योग मिला, कृष्ण लेश्या तेजोलेश्या के रूप में परिणत हो गई। शुक्ल लेश्या के पुद्गलों का योग मिला, कृष्ण लेश्या शुक्ल लेश्या में बदल गई।' हम लेश्या ध्यान का प्रयोग करते हैं, उसका आधार क्या है? उसका आधार है प्रज्ञापना का यह प्रकरण, जिसमें लेश्या परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित है। हम रंगों के आधार पर लेश्या को बदल सकते हैं। हम सफेद रंग का ध्यान करते हैं, इसका अर्थ है-यदि कृष्ण लेश्या या अन्य किसी लेश्या के जो परिणाम विद्यमान हैं तो वे शुक्ल लेश्या में बदल जाएंगे। यह लेश्या परिवर्तन का सिद्धान्त बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है। हम अनेक बार देखते हैं-व्यक्ति के सामने कोई स्थिति आती है और व्यक्ति बदल जाता है। स्थूल रूप में हमारा निष्कर्ष होता है-एक घटना घटी और आदमी बदल गया । वस्तुतः स्थूल घटना के साथ-साथ रंग भी बदल जाते हैं और आदमी का अंतःकरण भी बदल जाता है। प्रसंग महाराणा प्रताप और शक्तिसिंह का महाराणा प्रताप और शक्तिसिंह-दोनों भाई शिकार खेलने के लिए जंगल में गए। विजयादशमी का दिन था। दोनों भाइयों ने बाण चलाया और एक हिरण को मार डाला। बाण चला और हिरण मर गया, यह एक घटना घटी और इस घटना को लेकर एक विवाद भी छिड़ गया। प्रताप ने कहा-'हिरण मेरे बाण से मरा है।' शक्तिसिंह ने कहा-'हिरण मेरे बाण से मरा है।' इस बात को लेकर भाइयों में विवाद बढ़ गया। दोनों भाई बहुत शक्तिशाली और समर्थ थे। किन्तु दोनों में ही अक्खड़पन भी बहुत था, राठौड़ीपन भी था। राठौड़ी वृत्ति के लोग समझौता करना नहीं जानते। उन्होंने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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