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खोए सो पाए
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बुद्धि का सम्यग् उपयोग करना है, उसे आहार का संयम करना होगा। पेट और दिमाग-दोनों एक साथ काम नहीं कर सकते। या तो आदमी पेटू बनेगा या दिमागी बनेगा। यदि पेटू बनना है तो दिमाग को ताला लगा देना चाहिए। यदि दिमाग को काम में लेना हैं तो खाद्य संयम को अपनाना चहिए।
एक प्रत्याख्यान होता है सहयोग का। यह बहुत बड़ी घटना है। हम सहयोग का जीवन जीते हैं। एक आदमी दूसरे का सहयोग लेता है, सहारा लेता है। जीवन के लिए यह आवश्यक है किन्तु एक धार्मिक व्यक्ति के मन में यह भाव होना चाहिए-मैं कहीं अनावश्यक या अनपेक्षित सेवा तो नहीं ले रहा हं। यदि यह विवेक नहीं है तो आदमी दुर्बल बन जाएगा। वह इतना विवश भी हो जाता है कि उसे वैसे ही चलना पड़ता है जैसे सेवा देने वाला चलाता है। उसका परा जीवन सेवक के भरोसे ही चलेगा। किसी से सेवा लेना एक प्रकार का ऋण है। जिसकी सेवा ली जाती है, उसका ऋण व्यक्ति के सिर पर चढ़ता जाता है, उसे कभी न कभी चुकाना पड़ता है। बिना चुकाए उस कर्ज से मुक्ति नहीं मिलती।
गौतम ने महावीर से पूछा-'भंते! सहाय-प्रत्याख्यान से जीव क्या प्राप्त करता है।' महावीर ने कहा--गौतम! सहाय-प्रत्याख्यान से जीव एकीभाव को प्राप्त होता है।'
जहां सहायक पर भरोसा होता है वहां मनुष्य बहुत विवश हो जाता है। आज की स्थिति देखें। पर-निर्भरता ने कितनी समस्याएं पैदा की हैं। एक मंत्री अपने सहायकों पर निर्भर है। एक सेठ अपने मुनीम पर निर्भर है। अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारी पर निर्भर है। इस दुनिया में सहायक कैसे होते हैं, इसे कौन नहीं जानता। पैसा कहा जाता है?
एक राजा के मन में प्रश्न उभरा-प्रजा से मुझे इतना 'कर' मिलता है पर खजाने में बहुत कम पहुंचता है। बात क्या है? पैसा जाता कहां है? राजा इस समस्या के समाधान के लिए सेवानिवृत्त वृद्ध मंत्री को बुलाया। राजा ने कहा-'मंत्रीवर! प्रजा बहुत कर चुकाती है पर खजाना कभी भरता ही नहीं है। वह सदा रिक्त बना रहता है। कर खजाने में कम पहुंचता है। वह कहां जाता है?'
मंत्री ने कहा-'महाराज! मैं इस प्रश्न का उत्तर कल राजसभा में दूंगा।'
दूसरे दिन राजसभा जुड़ी। उसमें सब मंत्री और सहायक आमंत्रित थे। मंत्री ने कहा-'राजन! मैं आज एक प्रयोग करना चाहता हूं। उसमें सब मंत्री मेरा सहयोग करेंगे।'
राजा ने मंत्री के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। मंत्री ने दो किलो बर्फ की शिला मंगवाई। उसे पंक्ति में सबसे अंत में बैठे मंत्री को पकड़ाते हुए कहा- 'आप इसे हाथ में लें और आगे वाले मंत्री के हाथों में थमा दें। दूसरा उसे हाथ में ले और तीसरे के हाथ में थमा दे। इस प्रकार बर्फ की शिला को
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