Book Title: Kalpasutram Part_2 Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot View full book textPage 9
________________ विषयांक: पृष्ठाङ्क: विषयांक: पृष्ठाङ्कः ईर्यादि पांच समिति के लक्षण का वर्णन ३०६ १०८ इन्द्रभूति का दीक्षाग्रहण और उनका ९२ मनोगुप्ति का वर्णन ३०७ संयमाराधन का वर्णन ३७७ ९३ वचोगुप्ति का वर्णन १०९ अग्निभूति ब्राह्मण का कर्म के वि९४ कायगुप्ति का वर्णन ३०९-३१० षय का संशय निवारण और उन की ९५ भगवान् की अवस्था का वर्णन ३११-३१४ दीक्षाग्रहण का वर्णन ___३७८-३८९ मत ९६ भगवान् का विहार वर्णन ३१५ ११० वायुभूति ब्राह्मण का 'तज्जीवतच्छ९७ दश महास्वप्न दर्शन का वर्णन ३१६-३१८ रीर' के विषय में संशय का निवारण ९८ दश महास्वप्न फल का वर्णन ३१९-३२४ और उनकी दीक्षाग्रहणवर्णन ३९०-३९५ 5 ९९ भगवान् को केवलज्ञानदर्शन प्राप्ति का १११ व्यक्त नामक ब्राह्मण का पंचभूत के वर्णन ३२५-३२८ अस्तित्व विषयक संशय का निवारण १०० केवलोत्पत्ति का वर्णन ३२९-३३० और उनकी दीक्षाग्रहण का वर्णन ३९६-४०० १०१ चतुर्थआश्चर्य (अच्छेरा ४ का वर्णन ३३१-३३४ | ११२ सुधर्मा नामक ब्राह्मण का 'समानभव' १०२ आश्चर्यदशक (अच्छेरा १०)का वर्णन ३३४ विषयक संशय का निवारण और १०३ पावापुरी और वहां का राजा का वर्णन ३३५-३३६ | उनकी दीक्षाग्रहण का वर्णन ४०१-४०७ १०४ पावापुरी मे सोमिल ब्राह्मण का ११३ 'मण्डिक' नामक पंडित का 'बन्धमोक्ष' यज्ञ का वर्णन ___३३७-३३९ के विषयक संशय का निवारण और १०५ भगवान् का समवसरण और उनकी उनकी दीक्षाग्रहण का वर्णन ४०८-४१० शोभा का वर्णन ३४०-३४८ ४ मौर्यपुत्र पंडित का देवों के अस्तित्व ०६ यज्ञ के वाडे में उपस्थित ब्राह्मणों विषयक संशय का निवारण और उनकी का वर्णन ३४९-३६३ दीक्षाग्रहण का वर्णन ४१०-४११ १०७ इन्द्रभूति ब्राह्मण का आत्मविषयक ११५ मण्डिक पंडित का 'बन्धमोक्ष' के विसंशय का निवारण और उनकी षय में संशय का निवारण और उनकी anal दीक्षाग्रहण का वर्णन ३६४-३७६ /rsonal us दीक्षाग्रहण का वर्णन ४१२-४१ Jain Education clainelibrary.orgPage Navigation
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