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प्रवचन देते हुए पूज्यश्री
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२८-१०-२०००, शनिवार कार्तिक शुक्ला - १, वि.सं. २०५७
* अनेक जन्मों के एकत्रित किए हुए पुण्योदय से यह शासन मिला हैं । शासन के प्रति बहुमान जगे वह मोक्ष की निशानी हैं ।
सर्व गुणोंमें मुख्य गुण भगवान और भगवान के शासन के प्रति बहुमान भाव जगना वह हैं। भगवान पर बहुमान अर्थात् भगवान की अचिंत्य शक्ति और भगवान के अनंत गुणों पर बहुमान हैं ।
शास्त्रों द्वारा भगवान की महत्ता ज्ञात हो त्यों त्यों हमारी आत्मा ज्यादा से ज्यादा नम्र बनती जाती हैं । इससे पुण्य पुष्ट होता रहता हैं, आत्मा शुद्ध होती रहती हैं ।
बचपनमें भगवान हमें कैसे लगते थे? जीव विचार आवश्यक सूत्रों के अर्थ जानने के बाद भगवान की पहचान विशेष हुई न? अरिहंत के बारह, सिद्ध के आठ इत्यादि गुण जानने पर इनके प्रति विशेष बहुमान होता गया । ऐसे भगवान के आगम कैसे होंगे ? उन्हें जानने की इच्छा बढती गई ।
बहुमान दो प्रकार के हैं : (१) हेतु बहुमान : भगवान के अतिशय इत्यादि पर बहुमान । (२) सत्य बहुमान : भगवान की आत्म-संपत्ति पर बहुमान । (कहे कलापूर्णसूरि - ४000000000000000000000 २०५)