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हमने धर्म - आस्था को अक्षुण्ण रखी थी। चाहे कितने भी मंदिर टूटे, लेकिन आस्था टूट जाय तो फिर जोड़ना मुश्किल है। आज हमारी आस्था क्षत-विक्षत हो रही है।
इस्लाम भोले थे, केवल आक्रमण की ही भाषा थी उनकी । इसाई बड़ा चालाक है, नियोजित रूप में वह प्रविष्ट हुआ। इसने मंदिर को नहीं तोड़े, आस्था तोड़ी, इतिहास तोड़े। इस आक्रमण को नहीं समझेंगे तो श्रावक, श्रावक नहीं रहेगा । यह संकट सभी धर्म पर है, हमारे अस्तित्व पर संकट है ।
शत्रु के पास सेटेलाइट है, शत-सहस्र हाथ है । आज वह मर्डोक के रूप मे आया है, इसके प्रभाव से न धर्म, न संस्कृति, कुछ भी न रहेगा ।
भारत को तोड़ने की पराकाष्ठा आ पहुंची है । हम भारतीय अभी एक अरब है । बौद्धों को गिने तो दो अरब है। पूरे विश्व में हर छट्ठा व्यक्ति भारत का होगा । लेकिन शत्रु हम सब को तोड़ना चाहता है। अमेरिका में पांच वर्ष पर गया था, 'रिटायर्ड कम्युनिटी' शब्द देखकर स्तब्ध हो गया : 'रिटायर्ड कम्युनिटी' मतलब बूढे लोगों का समाज ।
जो बूढे हो चुके हैं, उनके लिए सब कुछ है, लेकिन स्नेह नहीं है, वे परिवार से विस्थापित हो चुके है । मैंने उन बूढों को देखा । मुझे तो वे हरते फिरते प्रेत ही लगे । नया पति पाने के लिए पुराने पति के बच्चों को मारनेवाली पत्नियां वहां है।
वहां भोगवादी संस्कृति है, यहां त्यागवादी संस्कृति है। त्यागी वृंद मेरे सामने है।
इन्द्रियों का सुख ही सर्वस्व वे मानते है ।
भोगपरायणता के रंग में वे हमको भी रंगना चाहते हैं । ___ मैं सिर्फ निवेदन करने आया हूं। आज भोगवादी राक्षसी निर्वस्त्र हो कर नाच रही है। निर्लज्जता की यह आंधी है। अगर ऐसा ही रहा तो आनेवाली पेढी हमारी बिरासत से अनजान रहेगी, वंचित रहेगी।
ई.स. १९८४ से हमने राममंदिर - निर्माण का आंदोलन शुरु किया, १९९२ में वह पराकाष्ठा पर पहुंचा । उसमें सारी जातियां (कहे कलापूर्णसूरि - ४ mmswwwwwwwwwwwwwww® २४५)