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गृहस्थावस्था में पूज्यश्री, वि.सं. २०१०, फलोदी
पृज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयकलापूर्णसूरीश्वरजी का
जीवन - दर्शन
बडभागी राजस्थान :
'राजस्थान' शब्द सुनते ही मन आनंद से छलक उठता हैं । जिस देशमें विजयसेनसूरिजी जैसे महान जैनाचार्य, राणा प्रताप और दुर्गादास राठोड़ जैसे महान शूरवीर, भामाशाह और धरणाशाह जैसे महान दानवीर धनाढ्य, महायोगी आनंदघनजी तथा मीराबाई जैसे भक्त आत्माएं पैदा हुई हैं वह राजस्थान सचमुच रत्नभूमि हैं । इसका नाम लेते ही कौन-सा राजस्थानी गौरव का अनुभव नहीं करता ? सिर्फ राजस्थानी ही नहीं, परंतु अन्य प्रांतीय लोग भी भक्तिभाव से जिनके चरणोंमें झुक पड़े ऐसी अगणित महान आत्माएं राजस्थान की धरती पर पैदा हो गई हैं।
राजस्थान की सैंकड़ों पद्मिनीओंने जौहर कर खुद के सतीत्व का दीपक अखंड जलता रखा हैं । सैंकड़ो राजपूतोने देशरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया हैं । सैंकड़ों दानवीर धनाढ्योंने प्रजा के कल्याण के लिए खुद के धन-भंडारों को खुले रख दिये
[३३६ 60000000000000000000 कहे कलापूर्णसूरि - ४)