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पट्टधर के साथ
२१-११-२०००, मंगलवार
मृगशीर्ष कृष्णा - ११
. * अरिहंत चेइआणं ।
किसी भी ग्रंथ का रहस्य प्राप्त करना हो तो बारबार अनुशीलन करना चाहिए । एकबार पढकर छोड़ दें, यह नहीं चलता । एकबार पढने से 'यह ग्रंथ मैंने पढा हैं ।' इतना मिथ्या संतोष जरूर ले सकते हैं । लेकिन उस ग्रंथ का रहस्य पा नहीं सकते ।
* अरिहंतों की अनंत शक्तिओं का समावेश गणधरोंने नमुत्थुणं सूत्र की मात्र नौ संपदाओंमें कर दिया हैं । गागरमें पूरा सागर डाल दिया हैं ।
प्रथम स्वरूप संपदा हैं । शेष आठ उपकार संपदाएं हैं । अंतिम संपदा का नाम : 'प्रधान गुण - अपरिक्षयप्रधान फलाप्ति -- अभय संपद्' हैं ।
__ मोक्षमें जाने के बाद भी भगवान द्वारा उपकार चालु रहता हैं यह इससे फलित होता हैं ।
बहुत लोग ऐसा मानते हैं : भगवान मोक्षमें गये तो यहां सब खतम हो गया ।
कहे कलापूर्णसूरि - ४
655 GS
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