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करती है। अब तक सारे भारत में १५०० विद्यालयों में करुणा क्लबें गठित हो गई हैं तथा लाखों विद्यार्थियों को सुसंस्कारित करने का कार्य कर रहे हैं। श्री चित्रभानु इसके प्रमुख मार्गदर्शक एवं वरिष्ठ
संरक्षक हैं। हम श्री चित्रभानु के आभारी हैं कि उन्होंने हमारे प्रतिष्ठान को इस प्रकाशन का अंग बनाया है।
इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद डॉ. प्रतिभा जैन ने किया है। आप कई कविताओं, कहानियों एवं व्याख्यानों का अंग्रेज़ी से हिंदी एवं हिंदी से अग्रेज़ी में सरस अनुवाद कर चुकी हैं। आपने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एम. ए. करने के पश्चात् सन् १९९५ से १९९८ तक भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् से जूनियर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त करके मद्रास विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। आपने अपनी मित्र श्रीमती जिज्ञासा गिरि के साथ मिलकर 'कुकिंग एट होम विद पेदत्ता' नामक व्यंजन पुस्तक की रचना की जिसे यूरोप के अन्तर्राष्ट्रीय गौरमांड अवार्ड २००६ द्वारा विश्व की सर्वश्रेष्ठ शाकाहारी पुस्तक माना गया।
__ हम पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी के प्रबन्ध-समिति के पदाधिकारीगण- प्रोफेसर सागरमल जैन, सचिव, तथा श्री इन्द्रभूति बरड, संयुक्त सचिव के अत्यन्त आभारी हैं जिन्होंने इस पुस्तक के प्रकाशन में अपनी सक्रिय सहभागिता निभाई। पुस्तक के भाषागत सम्पादन के लिये हम डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय, डाइरेक्टर-इंचार्ज, पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। प्रकाशन सम्बन्धी सहयोग के लिये डा० विजय कुमार, प्रका० अधिकारी, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, भी बधाई के पात्र हैं।
____ आशा है कि हिंदीभाषी समाज इस पुस्तक का पुरजोर स्वागत करेगा। हम चाहते हैं कि श्री चित्रभानु का संपूर्ण साहित्य हिंदी में भी शीघ्र प्रकाशित हो।
दुलीचंद जैन 'साहित्यरत्न' अध्यक्ष, करुणा अन्तर्राष्ट्रीय ७०, शम्बुदास स्ट्रीट चेन्नई - ६००००१
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