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विराम चिह्न की कला
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ही रहते हैं। आप इस तरह के कठोर शब्दों का प्रयोग क्यों करते हैं? मैं नहीं कहता कि गुस्से को दबा देना चाहिए, मगर देखिए तो सही कि वह आया कहाँ से है? उन शब्दों को महसूस कीजिए जिन्हें आप कह रहे हैं। उनके प्रतिघात अवश्य होंगे, आपमें भी एवं दूसरों में भी। हर शब्द में एक स्पंदन है जो आपके अंत:करण पर असर करता है।
एक लकड़हारा जंगल से गुज़र रहा था। वहाँ एक सिंह को देखकर बहुत ही भयभीत हो गया। न जाने क्यों, सिंह को उस पर दया आ गई और उसने लकड़हारे को जंगल में छिपे खज़ाने का रहस्य बता दिया। लकड़हारे को लगा मानो उसकी किस्मत खुल गई क्योंकि बेटी की शादी के लिए उसे रुपयों की सख्त ज़रूरत थी। शादी के अवसर पर उसने अपने रिश्तेदारों के साथ अपने मित्र सिंह को भी न्यौता दिया। खैर, सिंह को देखकर मेहमान घबरा गए। लकड़हारे ने उन्हें समझाया, 'डरो मत, मेरा मित्र सिंह एक बूढ़े कुत्ते के समान पालतू है।'
लकड़हारे को ये शब्द सुनकर सिंह के मन को ठेस पहुँची, मगर वह चुप रहा। कुछ दिन बाद लकड़हारा एक बार फिर से जंगल की ओर गया। इस बार सिंह ने उसे कोई दूसरा खज़ाना नहीं दिखाया, बल्कि उससे कहा, 'अपनी कुल्हाड़ी से मेरे पैर पर चोट करो।'
___ लकड़हारे ने पूछा, 'क्या कहा? तुम चाहते हो कि मैं कुल्हाड़ी से तुम्हारे पंजे पर चोट करूँ?'
___ 'हाँ,' सिंह ने उत्तर दिया। ‘एक महीने बाद वापस आना। तब हम इसके बारे में बात करेंगे।' लकड़हारे ने सिंह के कहे अनुसार किया और एक महीने बाद जंगल में लौट आया।
सिंह ने कहा, 'देखो, मेरे पंजे पर तुम्हारे द्वारा किए गए घाव का कोई निशान दिख रहा है?' लकड़हारे ने देखा कि घाव पूरा-पूरा ठीक हो गया है और वहाँ कोई निशान नहीं है। सिंह ने आगे कहा, 'शरीर के घाव भर गए हैं, पर तुम्हारे शब्दों ने मुझे जो घाव दिया, वह अब भी ताज़ा है।'
इसलिए शब्दों का विवेक से उपयोग करें। उदाहरण के लिए, अगर - आपके मन में क्रोध हो और आप कटु शब्द कहने जा रहे हैं, तो अपने
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