Book Title: Jivan ka Utkarsh
Author(s): Chitrabhanu
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 183
________________ श्री चित्रभानु का जन्म २६ जुलाई सन् १९२२ को राजस्थान के तखतगढ़ में एक धार्मिक परिवार में हुआ। महाविद्यालय के आधुनिक शिक्षण के पश्चात् जीवन की असारतारूप ज्ञानगर्भित वैराग्य उत्पन्न होने पर आपने १९४२ में बोरडी (महाराष्ट्र) के सागरतट पर पूज्य आचार्य श्री चन्द्रसागरसूरिजी की छत्रछाया में दीक्षा ग्रहण की और मुनि चन्द्रप्रभसागर के नाम से प्रसिद्ध हुए। सन् १९६९ में भगवान महावीर के जन्म दिवस पर समग्र मुंबई के कत्लखाने बंद करवाने का एक महत्त्वपूर्ण कार्य आपने किया। आंतरिक प्रेरणा से प्रेरित होकर पश्चिमी देशों में जैन धर्म का प्रचार करने हेतु आप सन् १९७० में जिनेवा में द्वितीय आध्यात्मिक शिखर परिषद् में गए तथा जैन धर्म के सिद्धांतों की अजय घोषणा की, और जैन धर्म में नई क्रान्ति लाकर नये इतिहास का सृजन किया। विश्वविद्यालय में सन् १९७१ में सर्वधर्म समभाव शाखा के आप प्राध्यापक बने। सन् १९८१ में सेंडीयेगो के सागर तट पर सत्रह दिन तक ध्यान, साधना करते हुए आपको दिव्य आत्मज्ञान के साथ सोहं का साक्षात्कार हुआ, आप विश्वमानव संत बने और मुक्त प्रवासी रहे। वर्तमान में आप जैन मेडिटेशन इन्टरनेशनल सेन्टर, न्यूयॉर्क, दिव्य ज्ञान संघ, मुंबई और शाकाहार परिषद् के संस्थापक तथा आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं। आपके विदेशी विद्यार्थियों और साधकों की संख्या अगणित है। विदेशों के अलग-अलग प्रदेशों में आपके द्वारा प्रस्थापित ६४ धर्म प्रचार केन्द्र हैं। आपकी प्रेरणा से अमरीका के विचारशील धर्म श्रद्धालु लोगों ने 'फेडरेशन ऑफ जैना' ऑर्गनाइज़ेशन की स्थापना की है और उसके अंतर्गत १४ भव्य मन्दिर तथा भवनों का निर्माण हुआ है। यंग जैन एसोसिएशन के हजारों युवा वर्ग के आप प्रेरणादाता हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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