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नव तत्त्व।
(६)
स्पर्श में ५ वर्ण, २ गन्ध, ५ रस, ६ स्पर्श और ५ संस्थान इस प्रकार २३-२३ बोल पाये जाते हैं । अर्थात् आठ स्पर्श में से दो स्पर्श कम कहना कर्कश का पूछा होवे तो कर्कश और कोमल, ये दो छोड़ना । इसी प्रकार लघु का पूछा होवे तो लघु व गुरु छोड़ना, शीत का पूछा होवे तो शीत व उष्ण छोड़ना, स्निग्ध का पूछा होवे तो स्निग्ध व रुक्ष छोड़ना, ऐसे हरेक सर्श का समझ लेना । एक-एक स्पर्श के २३-२३ के हिसाब से २३४८-१८४ बोल स्पर्श आश्रित हुवे ।
१०० वर्ण के, ४६ गन्ध के १०० रसके, १०० संस्थान के और १८४ स्पर्श के इस प्रकार सब मिलाकर ५३० भेद रुपी अजीव के हुवे । इनमें अरुपी अजीव के ३० भेद मिलान से कुल ५६० भेद अजीव के जानना । इस प्रकार अजीव के स्वरूप को समझ कर इन पर से जो मोह उतारेगा वो इस भव में व पर भव में निरा बाध परम सुख पावेगा।
॥ इति अजीव तत्त्व ॥
(३) पुन्य तत्व के लक्षण तथा भेद.
पुन्य तत्त्व-जो शुभ करणी के व शुभ कर्म के उदय से शुभ उज्वल पुद्गल का बन्ध पड़े व जिसके फल भोगते समय प्रात्मा को मीठे लगे उसे पुन्य तत्व कहते हैं ।
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