Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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जैन शिलालेख संग्रह इस शिलालेसपरसे दूसरे ताम्रपत्रोंपरसे १ यादव वंशसे, __ पृच्छकराजका पुन गोविन्द गोविन्दराज प्रथम २ राजा इन्द्रका पुत्र कर्कर उसका पुत्र काराज या कर्कराज
उसका पुत्र इन्द्रराज ३ उसका पुत्र दन्तिदुर्ग उसका पुत्र दन्तिदुर्ग ४ शुभतुगवल्लभ-अकालवर्ष शुभतुग-अकालवर्ष (कृष्णराज
प्रथम, जो कि कर्कराजका पुत्र है) ५ धारावर्षका पुत्र प्रभूतवर्ष उसका पुत्र प्रभूतवर्ष (गोवि
न्दरान ढि०) ६ उसका पुत्र प्रभूतवर्ष जगत्तुग । उसका पुत्र प्रभूतवर्ष जगतुग
(गोविन्द) ७ अमोघवर्ष
उसका पुत्र अमोघवर्ष] [FI, VI, n° 4 ( 1st part)]
१२८ देवगढ (मध्यप्रान्त ) संस्कृत । [विक्रम सं० ९१९ तथा शक स० ७८४८८६२ ई० j १ [ओ2] [1] परमभट्टार [क]-मह [] राजाधिराज-परमेश्वरश्री-भो२ जदेव-महीप्रवर्द्धमान-कल्याणविजयराज्ये ३ तत्प्रदत्त-पञ्चमहाशब्द-महासामन्त-श्री-[वि] bण [.] ४ [२] म-परिभुज्यमा [क]" लुअच्छगिरे श्री-गान्त्यायत नि]५ [स] निधे श्री-कमलदेवाचार्य-शिष्येण श्री-देवेन कारा६ [पि] त इद स्तम्भ । संवत् ९१९ अस्व (श्व) युज-शुक्ल७ पक्ष-चतुर्दश्यां वृ (च) हस्पति-दिनेन उत्तरभाद्रप१ 'माने' या 'मानके'। २ 'कारितोऽय स्तम्भ' यह शुद्ध रूप पढना चाहिये।