Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 444
________________ १९८ 10 जयकर्ण २२७ २४ ९५ जिनदत्त जयदास ३५ / जाकलदेवि २१३ जभ [क] | जाकियब्वे-गन्ति १८५ जम(व)म्म जान्हवेय (कुल)) ९४,९५,१२१ ज[-मित्र] मायस' २२८ जम्बहळ्ळि जाया ३६ जय जालमंगल १२४ जासूक २२८ जयकीर्ति जयकीर्तिदेव | जिहुळिगे १८१,२१७ जयकीर्तिमुनि २४० जितसेनपण्डित २१३ जयकेशि २१३,२७७,२९९ जितामित्रा ४१ जयज्ञोण्डचोळमण्डल (विषय) १७४ | जिनचन्द्र १८२ जयणन्दि १९८,२१३,२४८ जिनदत्तराय १४६ जयदुत्तरज जिनदसि जयदेव २२,४४,१४९,२२८ | जिनदास जयदेवपण्डित जिनदासि जयनाग जिननन्दि १०६,१४३ जयभट्ट जिवनन्द्याचार्य १०६ जयभ[टि] जिनवर्म १८६ जयभूति जीवदेव जयवर्म | जीवा जयवाल जूजकुमार २४३ जयसिह १०६,१४३,१४४,२१३ जेष्टहस्ति २२,२३ जयसिंहवल्लभ १०८ ज्येष्ठलिङ्ग (भूमि) जयसिङ्ग १७४ जयसेन १२ | ठानिया (कुल) २९,३०,४०,६८,७९ जण २४ जसहितदेव १२१ ढुक २१९ १०९

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