Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 453
________________ सिवदास सिवमार- देव सिवार सिहक सिहदता सिह्नादिक सिहमित्र सिंग सिंग- दण्डनायक सिंगण दण्डाधिपति सिंहनन्दि सिंहनन्याचार्य्यं सिंहपथ सिंहरथ सिंहल सिंहसेनापति सीवट सीवटे सीह सुकोशल सुगन्धवर्ति सु [ चिल] सुन्दर सुव्वय सुमतिभट्टारक सुय्यदेव सुराष्ट्र ( गण ) सुधाटवी सुल ५१८ ४३ / सून्दी २६७ | सूरस्थ-गण १०६ | सूर्पट ७१ सूर्य्य चमूप ४४ सूदण्डनायक ७१ से (चे) लकेतन १७ | सेदोजन १२०, २९३ सेन ४७,४८,६२,१८६,२०५,२१७, २९१ २२७, २३७, २८६ 1 } २९१ |सेनवोव २६७,२७७,२९९ | सेनवोव-योग देव २१३,२१४,२७७, सेनवर • दण्डनाथ २९९ सेन्द्र सेन्द्रक २१३ सेवनूर १०६ | सैगोह १०३ | सैंगोदृपेर्मानडि १६०,२७७ सैगोट्ट-विजयादित्य १३० ३२,५५ सोम | सोमाविका २०४ | सोमिल १३०,१६०,२३७ 1 २९ १७४ २१८ सोमेश्वर सोरिगाव, सोवर १४२ १८५,२६९ २२८ ૨૦૦ २१३ | सोसवूर २१८ सोसेवर २०४, २३४ | सौराष्ट्र ૨૦૦ १२७ १३१ २१०,२२६ २५१ ૨૦૦ १०९ १०४,१०६ २८८ १८२,२१३ १८२ २७७ ' २१७, २४३,३०१ २४३ ९३ २०४,२९३,३०१ २२७ २४३ १७९,१८५,१९४ २०० २१७, २८८ / ९३ १४२ | स्कन्दगुप्त १२७ स्थानिय (कुल) ४२,५४,५५,५६,८३

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