Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 452
________________ सङ्गमिक सहक साहला सत्यगंग सलनीतिवाक्य सत्यवाक्य सत्यवाक्य कोजाणिव सत्यवाक्य जिनालय सत्याश्रय सथिसहा सवि सन्ति सन्दिग सन्धि स [न्धि ] क समण ५१७ २६ | सातव्य ९१ सादिता १०६,१०८,१०९,११४, सान्तोज १४३,१४४,१८६,२१७,२१८, २२७, २३७, २४८ | सामिय १७ सामियन्त्रे ३५ सामियार सयिगोट्ट स- दण्डाधिप सर्व्वगन्दि सहकार सळ सकित संगम १४३ सान्तर २२२,२६७, २९९ सान्तलिगे १४२ | सान्तळिगेशायिर २१३,२६७ | सान्तलिंगे सायिर १४९, २७७ | सान्तळिगे-सासिरम १३१ | सान्तियब्बरसि सघनधि साईआ सातकणि, सामरिवादो (ढो) (ग्राम) १३९,१४५,२१३,२४८ २९ सासल• बम्मय्य १४० | सासवेवादु ३६ | ति [ किमत्रि' ] गिरि [ पि ] डल्लु १२७ 1 २१७ २४ | सिम १,२ चिज्ञण २१० समन्तभद्र २०७,२१३, २१४,२१७, सिङ्गिदेव २१३ २६४, २७४, २८८ | सिद्धनन्दि १०६ २१२ ७५ १०९ २६७ | सिद्धान्तरत्नाकरदेव २८८ | सिनविषु १३१,२०४ | सिन्देश्वर ( क्षेत्रम् ) २१३,२४८ - ३०१ १४३ १२७ ६० १४१ सिरिणन्दि सिरिपत्ति (ग्राम) सिरिपुर सिरियनन्दि सिरियमसेटि २. सिरियुर २१८ ર * २१३ ૨૪૦ १९७ ૧૬૮ २१३ २१९ १०६ १४२ १४५ १०६ २१८ १२७ २१० १०६ १९३ २१० २९९ २७७

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