Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 442
________________ गोवर्धन १७४ गोविन्दर २७७ २४३ १२२,१२३ २४८ २०४ ___ २४८,२९९ १३४ घोषको गोविन्द १२७,१४४,२१३, २१९,२४८ चक्रगोट्ट गोविन्दचन्द चदणन्दि चङ्गाल्व २४१ गोविन्दर २१४ चलाळ्वतीर्थ २२३ गोविन्दरस चटयं गोविन्दराज १२४,२०४ चलदेवि २१३,२१४,२१५,२१६, गोविन्दराजदेव गोगर्म चले २१३ -गोष्ट चडोभ ૨૨૮ गोळ्यय्यन (वसदि) चन्दणन्दियव्यन् १५४ गौड चन्दल-देवि गौडिके चन्दबुर-पन्द-वल्लि (ग्राम) १०६ गौतम चन्दिकच्चे १६० नहीं चन्दिमव्य २३०,२९९ [ग्रह चन्दियब्वे-गावुण्डि १८३ ग्रहदत चन्द्रकीर्ति २१२,२२७,२८० नवल चन्द्रकीर्तिवाति ग्रहमित्रपालित चन्द्रकीर्तिभट्टारक २४१ ग्रहशिरि ४०१ चन्द्रमान्त ग्रहसेन ३६ चन्द्रगुप्त ग्रहहय ३७ चन्द्रनन्दी ९४,१२१ चन्द्रप्रभ-सिद्धान्त-देव घकरव ५२ चन्द्रार्य 'घटिकाक्षेत्रम् १०९ / चन्द्रिकाम्बिका १४५ घस्तुदस्ति चाकिराज १२४ १२७ चाकिसेट्टि २८८ ___ २३९ سه ५७,५० १३८ ध २८६ १३७ वोर २१८


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