Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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५००
धनहाय धम्मबुरम्
धर्म धर्मनन्द्याचार्य
६८ [न] न्दि १४३ । नन्दिगच्छ ५० नन्दिगण १०५ नन्दिघोष १०४ नन्दिगि (ग्राम)
नन्दिप्पोत्तरग १४३ नन्दिवर्मा
नन्दिसर १२१,१८८,१८९,१९०, १८९ १९२,२०२,२१६,२८८.
२१३,२१५
८१
धर्मकीर्ति
न
धर्मपुरी
११५
११२
१३ नन
धम्मवृद्धि धर्म-रोहि धम्मसोमा धवलजिनालय चवळ (विषय) धामघोषा वाम [ था] घारागज
२०५,२३७
१७४
नन्नप्पयन् १३७ / नन्नि-वगाव-देव १९५,१९६ १२ ननियाग १४२,२६७,२४७
ननियगह-पेम्माडि २२२,२६७,२७७
११ ननियरम-देव १२३,१२४,१२७ / नन्निगान्तर २१३,२१४,२१५, २९९
२१६,२४८, २९७,३०१
२२७
धारावर्ष धारे
२९९
घागराज
धुति
१४७ नयकीर्ति
घोर
ध्वजतटाक
नयनन्दि नरवर नरनिंग
२१३,२६३
नरसिंघदेव
नगदत
१४२
२९९,३०१
नालि नहळि नजयन नगडवर ऋगि
नरसिंह ३०१ / नरिंदो २९९ / नरिन्दक २१३ नरेन्द्रमृगराज १४० नलमार्यन्दम्ब
१४३,१४४
৫ শন नन्दगिरिनाय १५४,२५३,२३७,२७७ | नवकाम
१०८ २२४
१२१,१२२,२७७
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