Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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४९३
२९३
१४४
गण्डविमुकसिद्धान्तदेव २९३ गुणसेन
२०२,२१३, गन्धिक
४१ गुणसेन-पण्डित १७७,१९२ गवंद-गंग
२६७ गुणसेन-पण्डित-देव १८८,१८९, गलिङ्ग-नांग
२७७
१९०,१९१,२०१,२०२ [ग]गवाडि
२९७ गुत्ति गवद-गह
२७७ गुत्तिय-गङ्ग २६७,२७७,२९९ गाढक
२३ गुम्सिमिय गागी
१४१ गुर्जर १०८ १२३,२८८, गान्धारी देवी २१३, २१९ गुल्हा
२३ गामण्ड २२७ गोग्गि
२१४,२१६ • गावव्वरसिं २१३,२४८ गोग्गिग
२१३,२१४ गिवसेन
३६ गोग्गि-नृप गुजण २१९ गोग्गियोडुग
२४० गुहम् २७७ गोग्गै-देव
२५३ गुडिगेरे
२१० गोक गुडिवयल गुणकीर्ति गुणकीर्तिदेव
१८९ गुणग-विजयादित्य
१४४ गोणसेन-पण्डित-भट्टारकर गुणचन्द्र
१०६,३०१, गुणचन्द्र देव गुणचन्द्र पण्डित-देव
२७७ गोती गुणचन्द्रभटार
१५० १ गोदास गुणणन्दि
९५ गोपाली गुणदुत्तरङ्ग
१४२ गोरधगिरि गुणनन्दि-देव २६७,२७७,२९९ गोल्लनिगुण्ठ गुणभद्रदेव
२१७ गोव गुणवीरमामुनिवन् १७१ गोवपय्यन्
१९९.
२८०
१९७ गोकन १३० गोटिक १८२ गोडल
१५४
९५ गोण्ड २६७,२९९ गोतिपुत्र
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