Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 400
________________ आवल्वाडीका लेख स""न''''श्री मूलसंघ देशिय-गणद पुस्तक-गच्छद सिद्धान्तचक्रवर्ति दर्मण""तार-देवर सधर्मरप्प श्री. "द्र-सिद्धान्त-देवर शिध्या ।। राम.. जदि-पुर-गत धूत-कषायर् अतुल-रत्नत्रय-स"........ तदोळु श्रीमन्नयकीर्ति-भानुकीर्ति-मुनीन्द्रर् ॥ सतिय "कधोक्ष-वा ""हतिय् अदनोन्दु हृदयदळिप् सिगळ""त्येम्बुदे नयकीर्ति-तिनाथनोळ् अतनु"दावानळनोळु ॥ विनुत""रुडकादान्वित विमलवियत्-तिग्म-रुग्-मण्डलं व्रज..... मेनित् अनित् आतलरु""नकरं प्रस्फुरदर्प"डप्पन कोट्यज् ज""प्रहरणन् उपमानित-पुण्य""चा ..."णिकति पतिने विश्वविद्यानिदानम् ॥ अरित-बातमुमतिशान्ततेयु ....... र-करनुव वात-किरणनुमूर्ध्नि "दोळेसेवन्तिरेसगु श्रुत-सरसिजभानु-भा 'कीर्ति-व्रतियोळु ॥ आ-मुनि-मुख्यस्य यम "ड तन स गरुगळे... रेया"हियाद""ळ गुण-शीळ-व्रत-निधि मल्लिनाथनोल मनुज"""सि पोगर्ने नेगर्ते'""पेगडे मल्लिनाथ "सदियं माडिसि शक-वर्ष १३ नेय साधारण-संवत्सरद फाल्गुण बहुळ ३ सोमवारदन्दु कीर्तिभट्टार काल कर्चि'. पूजेगं खण्ड-स्फुटित-जी र्णोद्धारक देवर केय केळगण """यल हन्नेरडु सलिगे गद्देयु बसदि .."मह""रणज".................."लघट्टमु विडिसिद नामहरन प..."क्षदोळु तदनुजम् ॥ वस"वाग्-वि................... .............. ................"एणु-भूपर्ने वसु-ममनिरुतमाकेयन् अहरयन......"लिया....."श सिम........ ......"दिन पेम्पु ..."सि श्री-पुल्लिन बसदि""गनिद बहिः.........."गन् उद्ध"""""" ......"सत्-सर"तरसु...... समस्त-गुण..... ........."श्री चळुन विमळ".......""सबाहिर .... ........ ..............

Loading...

Page Navigation
1 ... 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455