Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 436
________________ १४० १४३,१४४ १७० १४४ २६९ १७९ कईमपटि १७ २१९ कर्पूरसेटि कर्मगलूए कर्मटेश्वर १०७ २५३ १४३ २१३ कसुथ करहड १८६ / कलिविट्टरसर करहाट २०४ कलिविष्णुवर्द्धन कर १२७ / कलुकरें-नाइ काहस्थ ५८ कलचुम्बर कर्णाट ३०१ कल्नेके (१) देव कल्नेके देवर कर्नाट कर्पटि कल्वप्पु तीत कल्याण कल्याणपुर कल्पकुरु कल कविपरमेष्ठिखामि कलञ्चुरि कश्शपीय कलसराजा कलाचन्द्र-सिद्धान्त-देव कस्तूरि-भट्टार कलि गंग देव कळपाळ कळंबूरु नगर कलिगत भूपति कळम्बडि २१९ कलिग कलिङ्ग कलिंग १०६,१०८ क्येळेयब्बरसि कलिंगजिन कळालपुर कलिङ्ग २१७,२८८,२९९ क्षेम कलिङ्ग-देश कलिदेव २१७,२२७ काकुस्थराज कलिया २७७ काकुत्सवर्मा कलिया देव २५३,२९९ काकुस्थवर्म कलिया-नृप २५३ काकेयनूर कलियर महिशेष्टि २९९ / काकोपल कलि-रक्कसभा २६७,२९९ / काणि वर्मा २ १८३ कलि गङ्ग ૨૭ १८६ २०४ का ९९,१०२ ९६ १०० १२७ १०६ १२२

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