Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 438
________________ कुन्दाचि कुन्दूर (विषय) कुप्पटूर कुबेरगिरि कुब्जविष्णु कुब्ज विष्णुवर्द्धन कुमरमित कुमरय्य कुमार- गङ्ग-रस कुमार गजकेसरि कुमारदत्त कुमारनन्दि कुमारपुर (ग्राम) कुमार चलाळदेव कुमार भट कुमार मित्रा कुमारसेनदेव कुमारसेन देवर कुमारसेन-तिप कुमार - सेनाचार्य कुमारीपवत कुमुदचन्द्र भट्टारकदेव घुम्वयिज कुम्वशिक कुम्बसे पुर कुम्मुदवाड कुरु कुरळराजिग ४९० १२१ | कुरुळि १०३ | कुरुळियतीर्थ २०९ कुलचंद्र १९८ | कुलचन्द्रदेवमुनि १४४ | कुवलालपुर १४३ २६४२ | कुहुण्डि (देश) २६४ | कुण्डी (विषय) २५३ २४३ [ कू] केक कूण्डि १०० ६४,१२१ ९० २९३ ४२ ४२ | कृष्ण २१४ | कृष्णराज कृष्णवर्म २१३ कृष्णव कृष्णवल्लभ २४८ १३७ २ २४६ २६७,२७७ (कूरगन्पाडि (ग्राम) कूर्चक | कूविलाचार्य | केथगावण्ड | केतलदेविय कू ८२,१३१,१३९,२१९, २५३,२६७, २७७,२९९ २३७ १०६ कृ २९९ २९९ २४५,२८० २०७ s २२८ २२७ १६७ ९९,१०३ १२४ १०५, १४२ १२३,१३०,१४३ ९५,१०५, १२१, १२२ १४२ १३७, १४४ २१९ १८६ २१८ २५१ २ १०६ | केतवेदेवि १४६ | केतव्वे १४६ | केतुभद १८२ केदल १२७ २०४ | केरल १०६, १०८, ११४, १७४,२०४, २६४,३०१.


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