Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
View full book text ________________
उनलारु
२७७
१०७
एकदेव
२६९
१६४
उदयराज २२८ | एरग
२३७,२७७ उदयादित्य २०७,२६३,२९९,३०१ एरेगित्तूर
१२१ उदयाम्बिका
२४३ | एरेनल्लूरा
१२१ १२७ | एरेय
२६७ उमुकिदेवन
२१३ | एरेयग २१३,२१८,२७७,२९९ उम्मलियब्वे
२१९ एरेय उरनूरार्हत (आयतन)
एयज्ञ
२६३ उनी तिळक
एरेयप्प-रस
१३८ रेथ्य
१०९ ऋषभ
एळगामुण्ड एळाचार्य
२४१ १४९ एळे (रे) गङ्गदेव
१४२ एकवीर
एळेव-बेडग एकसन्धि भट्टार
२१३ एकलरस-देव
२९१ ऐरावत एचल देवि १९२,२१८,२६३,२९९,
३०१
२७४ एचिराज
ओखारिका एखलदेवि
[ओ] घ एडदोरे
ओडेयदेव २१४,२१६,२४८, एडय्य
ओहग
२१३,२२६ एडेमले
ओहमरस एडेहळि
ओहविपैय एदेदिण्डे (विपय)
ओहिटगे
१२७ एरकगं
२५३ ओद (शाखा) एरकाहिसेहि
२१८ ओहमरस एरकोटि
१२७ / ओहनदि
एचले
ओखा
८८
२१३
१२३
७६
४७-८
Loading... Page Navigation 1 ... 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455