Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 432
________________ 65 इस अनुक्रमणिका जैन मुनि, आर्यिका, कवि, संघ, गण, गच्छ, ग्रन्य तथा राजा, रानी, गृहस्थों और सब प्रकारके स्थानोंके नाम समाविष्ट किये गये हैं । नामके पश्चात् के अंक लेख नम्बर समझने चाहिये । अ [ कक ] अकलक अकालवर्ष अक्षपाद अंग अदेव भटार अङ्ग अचलदेवि अनुक्रमणिका । [ विशेष नाम-सूची ] ४४ | अनन्तकीर्तिदेव २०७,२१३,२१४,२१५, अनन्तपाळय्य अजितसेन भट्टारक अजनन्दि अडकल अत्तिकाम्बिका अत्तिलिनाण्डु अदरादित्य afteछात्रा अचला अजितसेन अजितसेन देव २१४ अजितसेनपण्डित १६८, २४८, २६६ | अव्वलब्बा अजितसेनपण्डितदेव २२६ / अन्य अवरसेन ૨૮ २१७,२७७ | अनन्तवीर्य २१३,२६४,२६७,२६९ ९५,१२४,१२७ | अनन्तवीर्य्यसिद्धान्तकर २७७,२९९ २१५ | अनन्तवीर्य्यय अनवद्य-दर्शन २ १९३ | अन्दरि (नगर) २८८ | अन्दरि-आलत्तूर २१३ | अन्धकासुर ७३ अन्धासुर २१५,२३१,२७४ | अन्ध्र १३४, १३५, १४४ अव्वलदेवि २२४ अभणन्दि (अभयनन्दि ) अभयणन्दि- पंडित - देवर अभिनन्दनाचार्य १८६ अभिमन्यु १४४ | अभिमानदानी २०८ २४३ अमळचन्द्र ७ / अमोघवर्ष १५४ १४५ १२१,१२२ १४२ २१३ २१३ ३०१ २१३ १४२ २७३ २२८ ९५ १५० २१३ २२८ २६९ २२४ १२७,१४२,१८२

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