Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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इलेवीडका लेख
क्यू- सार्दिरे पुलि युण्डिगे | कय-साहिरे वीर-लक्ष्मी रिपु- नृप - राज्यम् ।
कय्-साहिंरे पल्राढर् । प्पोयसळ - नामदोळे यादवोर्त्रीपतिगळ् ||
सत्कुलढोळगिन्दु माही - |
भृत्-कुळदोळगचळ-नाथनेसेवन्तेसेदं ।
तत्कुलद्रोळ् विजितारि-कु- ।
मृत्कुळनादित्य- मूर्ति विनयादित्यम् ।।
तदपत्य रिपु नृप - भुज- 1 मद-मर्दनन खिळ विबुध- जनता - सौख्य- ।
प्रदनुदितोदित-महिमा | स्पदनेनिपेरेयङ्ग-भूपनङ्गज-रूपम् ॥
एरेयङ्गन कूरसि तले ।
गेरगदे मुन्नार बन्दु पदकेरगढवर् ।
प्परिये तले मुरिये निट्टेल्व् ।
ओरदुगे विसु-नेत्तरेरगदिपरे धुरदोळ् ||
ई-सुवे पोगळलेचल - |
देविगवेरेयङ्ग नृपतिगत्रै पुरुषर् । तावेनलाढला |
ळावनिपति विष्णु- नृपतियुदयादित्य ॥ अन्तवरोळ् विष्णु मही ।
कान्त निमिर्देसेये कूर्षुमाğ जसमा ।
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