Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Vijaymurti M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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तेर्दाळका लेख
४२७ २८० तेर्दाळ-कन्नड़
[शक १०४५८११२३ ई०] [तेर्दाळ दक्षिण महाराष्ट्र के सांगली जिलेका एक बडा गाँव है। इस स्थानकी जैन 'बस्ति' में एक पापाण पीठ (stone tablet) है जिसपर ३ विमिन्न भागोंमें विभक्त एक अभिलेख है । यह लेख उसका प्रथम भाग है, यह इस समूचे लेखकी ५६ वीं पक्तिपर जाकर समाप्त होता है।]
- [TA, XIV, P 14-26 (Lines 1-56)] श्रीमत्परमगमीरस्याद्वादामोघलाञ्छनम् । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासन जिनशासनम् ॥ श्रीमन्नम्रसुरासुरोरगलसन्माणिक्यमौळिप्रभा- . स्तोमालकृतपादपद्मयुगल कैवल्यकान्तामनःप्रेमं सन्मति-नेमिनाथ-जिननाथ तेरिदाळातिशयश्रीमत् (द) भव्यजनक्के माकनुदिनं दीर्घायुमं श्रीयुमम् ॥ क्षितिभृत्त्राणप्रभावोत्करकरिमकरोद्यत्प्रयुक्ताधिवेलावृतजम्बूद्वीपमध्योद्भवकनकनगनीक्षिसल् दक्षिणाशाक्षिति कण्गोप्पिप्पुदत्त भरतविषयमा देशदोळ् कुन्तळोद्यत्क्षिति तोक्कू चेल्विनि तद्धरणियोळेसेगुं कूण्डिनामोद्घदेशम् ॥
तद्विषयमध्योदेशदोळ् ॥ निरुपमगन्धशाळिवनदिं वनटिं कोळदिं तटाकर्दि गिरिवन-तोयदुर्ग-कुळ दिन्दगळिं बुध-माधवार्क-शंकर-जिन-समदि विपणि-मार्गदिनोपुव तेरिदाळ पन्नेरडर चेल्लनेय ॥
१ यहाँपर यह लेख सुस्पष्ट और सरलतासे पढ़नेके लिये पतिवार न देकर नियमानुसार पठनीय साधारण शैलीसे दिया जाता है।