Book Title: Jain Satyaprakash 1936 11 12 SrNo 16 17
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૧૩૮ શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ ति (११) 'ख' चरित्र के कथन मुजब राजगृह से विहार करने के बाद गौतम को अपने विषय में केवलज्ञान का संशय होता है, पर भगवान के विश्वास दिलाने पर वे सन्तुष्ट होते हैं। 'ग' चरित्र के अनुसार भगवान् चम्पा से विहार कर दशार्ण देश जाते हैं और दशार्णभद्र को दीक्षा देकर देश में विचरते हैं। (१२) 'ख' चरित्र के लेख मुजब अतिमुक्तक, लोहध्वज, अभयकुमार, धन्यक, शालिभद्र, स्कन्धक, शिव प्रमुख को प्रव्रज्या देने के उपरांत भगवान् चम्पानगरी की तरफ विहार करते हैं और सालमहासाल मुनि की प्रार्थना से गौतम को उनके साथ पृष्ट चम्पा भेजते हैं, जहां पिठर आदि की दीक्षा होती है । बाद में गौतम अष्टापद जाते हैं। __'ग' चरित्र के कथनानुसार दशार्णभद्र को दीक्षा देने के उपरांत कुछ समय में भगवान् राजगृह जाते हैं और धन्यशालिभद्र को प्रनव्या देते हैं। (१३) 'ख' चरित्र के वर्णनानुसार भगवान् मिथिला की तरफ विचरते हैं और मणिभद्र चैत्य में देशनानन्तर गौतम के पूछने पर वे दुःषमकाल (पांचवें आरे) का स्वरूप वर्णन करते हैं। 'ग' चरित्र के मत से भगवान् फिर राजगृह जाते हैं और धन्यशालिभद्र मुनि वहां अनशन करते हैं। (१४) 'ख' चरित्र के प्रतिपादन मुजब भगवान् मिथिला से विहार करके पोतनपुर जाते हैं और शंख, बोर, शिवभद्र प्रमुख राजाओं को प्रवव्या प्रदान करते हैं। 'ग' चरित्र के कथन मुजब भगवान् फिर राजगृह जाते हैं और रौहिणेय चोर को दीक्षा देते हैं। (१५) 'ख' चरित्र के अनुसार भगवान् पावा जाकर राजा की शुल्कशाला ( दाण मांडवी ) में चातुर्मास्य करते हैं। कार्तिक वदि अमावस्या की रात को वे निर्वाण प्राप्त होते हैं। गौतम को केवलज्ञान प्राप्त होता है। 'ग' चरित्र के लेखानुसार भगवान के विहार के बाद गणधर सुधर्मा भी अभयकुमार को पूछ कर राजगृह से विहार करते हैं। वीतभय के राजा उदायन को प्रव्रज्या दे के फिर राजगृह जाते हैं और अभयकुमार तथा नन्दा की दीक्षा होती है। For Private And Personal Use Only

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