Book Title: Jain Itihas ki Prasiddh Kathaye
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 6
________________ अपनी बात " जैन वाङ् मय में कथा - साहित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। सैद्धान्तिक एवं दार्शनिक गूढ़ रहस्यों को सहज भाव से जन- जीवन में उतारने के लिए कथा सर्वश्रेष्ठ माध्यम रहा है युग-युग से । भगवान महावीर, तथागत बुद्ध एवं अन्य महापुरुषों ने सर्व साधारण जनता को दार्शनिक शैली में नहीं, कथा-कहानी एवं रूपकों की सीधी-सादी शैली में ही गूढ़ रहस्यों को समझाया था। अस्तु, कथा साहित्य एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक- विद्या है। जैन - वाङ् मय में कथा - साहित्य का अक्षय भण्डार है । आगम, भाष्य, नियुक्ति एवं संस्कृत टीका ग्रन्थों में कथाओं की प्रचुरता है ही, उसके अतिरिक्त संस्कृत एवं प्राकृत में कथा - ग्रन्थ भी बहुत बड़ा संख्या में लिखे गये हैं । - परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री अमरमुनिजी महाराज द्वारा लिखित प्रस्तुत कथा ग्रन्थ जोवन विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। श्रद्धय उपाध्यायश्राजी की भाषा सरल एवं प्राञ्जल है और शैलो सुन्दर एवं प्रवाहमय है । कथाएं रोचक तो है ही, साथ हो प्रेरणाप्रद भो हैं । कथाओं का रोचकता एवं आकर्षण के कारण ही स्वल्प समय में यह चतुर्थ संस्करण प्रकाशित हो रहा है। मुझे विश्वास है कि पाठक उपाध्यायश्रीजी के साहित्य से निरन्तर प्रेरणा एवं सम्यक् - दिशा दर्शन प्राप्त करते रहेंगे । मुनि समदर्शी, प्रभाकर वीरायतन २ अक्टूबर १९६३ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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