Book Title: Jain Itihas ki Prasiddh Kathaye Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 5
________________ A ( ४ ) विष, सुदर्शन के अमृत के समक्ष परास्त हो गया । प्रस्तुत संग्रह में सर्वप्रथम उसी विष पर अमृत के विजय की कथा का संकलन हुआ है । जीवन - दृष्टि, मन की लड़ाई, सामायिक का मूल्य, उदायन का पर्युषण, अधूरी जोड़ी, स्नेह के धागे आदि कथाक प्राय: इतने सुप्रसिद्ध हैं कि जैन इतिहास और परम्परा से थोड़ा-बहुत परिचय रखने वाला जिज्ञासु भी उनमे परिचित होगा, किन्तु फिर भी उनकी रोचकता और सरसता कम नहीं हुई है, यही इन कथानकों की अपनी विशिष्टता है। जीवन के भोग - विलास में आकण्ठ डूबे रहने वाले सामन्तों को मगध के महामात्य अभयकुमार द्वारा समझाया जाने वाला 'त्याग का मूल्य' और निरीह पशुओं के साथ खिलवाड़ करने वाले मृगया रसिक तथा मांसलोलुप व्यक्तियों की आँखें खोलने बाला कथानक 'मांस का मूल्य' पढ़ने में आनन्दप्रद होने के साथ ही प्रेरणादायी भी है । इस संग्रह की कुल बारह प्रसिद्ध घटनाएँ, जिन्हें ऐतिहासिक महत्ता एवं रोचकता के कारण कथाएँ भी कह सकते हैं, पाठकों को इतिहास के माध्यम से जीवन की सुन्दर और शाश्वत प्रेरणा देती रहेंगी - इसी आशा के साथ " - उपाध्याय अमरमुनि २ मार्च १६७४ आगरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 90